कोटा का सफर
कोटा - महलों, किलों और छ: गज का जादू
राजस्थान राज्य में स्थित प्रमुख शहरों में से कोटा एक है जो चंबल नदी के किनारे पर बसा हुआ है। इसे राज्य की औद्योगिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है क्यूंकि इस शहर में कई पॉवर प्लांट और उद्योग स्थापित हैं। एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक संयंत्र भी कोटा में ही स्थित है। गुजरात और दिल्ली के बीच व्यापार के लिए कोटा एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है। कोटा को शिक्षा का हब भी जाना जाता है क्यूंकि यहां पर देश के कई नामी - गिरामी इंजीनियरिंग कॉलेज और संस्थान स्थित है जो शिक्षा के क्षेत्र में नम्बर वन श्रेणी में आते हैं।
कोटा में क्या - क्या देखें ?
राजस्थान का एक हिस्सा होने के कारण यहां कई हवेली, महल, किले और अन्य आकर्षक स्थान हैं जो पर्यटकों को कोटा आने के लिए बाध्य करते हैं। इसके अलावा, यहां विभिन्न धार्मिक केन्द्र भी हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं। गुरूद्वारा आजमगढ़ साहिब, गोदावरी धाम मंदिर, गाराडिया महादेव मंदिर, और मथुराधीश मंदिर, कोटा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक हैं। कोटा में आजमगढ़ साहिब सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यहां रखे हुए कटार और लकड़ी के चप्पल की जोड़ी, सिखों के दसवें गुरू गुरूनानक जी के हैं। इसके अलावा यह स्थल एक प्रख्यात कवि अयोध्या सिंह "हरिउद्ध" के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। कोटा के सभी विख्यात स्मारकों में जगमंदिर पैलेस का विशाल ऐतिहासिक महत्व है। यह स्मारक, शानदार लाल पत्थर से बना हुआ है जो सुंदर कृत्रिम किशोर सागर झील के बीच में स्थित है। पर्यटक इस महल तक नावों से पहुंच सकते है। इस पैलेस में दो प्रसिद्ध संग्रहालय भी हैं जिनके नाम शासकीय संग्रहालय और महाराजा माधो सिंह संग्रहालय है।
कोटा साड़ी
बुनाई के क्षेत्र में व्यापक रूप से सराही जाने वाली कोटा साड़ी न केवल भारत के कई हिस्सों में बल्कि अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी महिलाओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। इन साडि़यों को कोटा ड़ोरिया भी कहा जाता है जिसमें डोरिया का अर्थ होता है धागा। इन साडि़यों के बनने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है, दरअसल इन साडि़यों को मैसूर में बुना गया था लेकिन इनके बुनकर कोटा से लाए गए थे जिन्हे एक मुगल आर्मी के जनरल राव किशोर सिंह अपने साथ लेकर आए थे।
अत: मसूरिया नाम से जानी जाने वाली यह साडि़यां कोटा साड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो गई जो कोटा में काफी प्रचलित हो गई थी। वैसे देश के कई हिस्सों में इन्हे कोटा डोरिया के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में इन्हे कॉटन और सिल्क का छ: गज का जादू भी कहा जाता है।
कैसे पहुंचे कोटा
यात्री, कोटा तक वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। कोटा का नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है और रेलयात्रियों के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटा रेलवे स्टेशन है। कोटा तक आने के लिए राज्य के कई शहरों जैसे चित्तौड़गढ़, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर आदि से आसानी से बसें मिल जाती हैं।
कोटा की जलवायु
कोटा में गर्मी और सर्दी, दोनो प्रकार के मौमस का आंनद उठाया जा सकता है। यहां की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है इस दौरान यहां सर्दियां पड़ती हैं।
सिटी फोर्ट पैलेस, कोटा City Fort Palace, Kota
सिटी फोर्ट पैलेस, कोटा में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है जो राजस्थान में सबसे बड़े किला परिसरों में से जाना जाता है। यह महल कोटा शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। किले की बीहड़ दीवारें, गढ़े हुए गुम्बद और हैंड रेल्स की सजावट उस काल के राजाओं की महिमा प्रदर्शित करते हैं। किले के मुख्य द्वार को हाथी पोल या हाथी गेट भी कहा जाता है जिसे 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था।
राजकीय संग्रहालय, कोटा Government Museum, Kota
राजकीय संग्रहालय कोटा का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो किशोर सागर झील के निकट स्थित बृज विलास पैलेस के अंदर बना हुआ है। संग्रहालय में दुर्लभ पुराने सिक्के, प्राचीन पांडुलिपियों और मूर्तियों का विशाल संग्रह है। प्रर्दशन के लिए रखी गई सभी मूर्तियों में से बरोली से लाई गई प्रतिमा सबसे अविश्वसनीय है। यह प्रतिमा बेहद खूबसूरती से और सुरूचिपूर्ण ढंग से बनाया एक सुंदर टुकड़ा है जो वाकई काबिले तारीफ है। यहां लगाई गई मूर्ति काफी पुरानी हैं जिनमें से कई तो 4 वीं सदी में बनाई गई थी। यहां पर प्रर्दशित की जाने वाली पांडुलिपियों और चित्रों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि मध्ययुगीन काल के लोग काफी रचनात्मक हुआ करते थे। इन सभी के अलावा, आगंतुक संग्रहालय में आकर सुंदर वेशभूषा और हस्तशिल्प सामानों को भी देख सकते हैं। इस संग्रहालय में भ्रमण करने के लिए पुरातत्व व संग्रहालय के निदेशक, जयपुर से अनुमति लेने की जरूरत पड़ती है। सरकारी छुट्टियों और प्रत्येक शुक्रवार को यह संग्रहालय बंद रहता है। काम के दिनों में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक इस संग्रहालय का भ्रमण किया जा सकता है। संग्रहालय में प्रवेश शुल्क 2 रू देना पड़ता है। संग्रहालय परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
सीताबारी, कोटा Sitabari, Kota
सीताबारी बरन के पास स्थित एक प्रसिद्द धार्मिक स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वो स्थल है जहाँ श्री राम की पत्नी देवी सीता ने अपने पुत्रों यानी लव तथा कुश को जन्म दिया था। श्री राम द्वारा उनका त्याग करने के बाद देवी सीता अपने दोनों पुत्रों के साथ यहीं वास करती थीं। सीताबारी आने वाले पर्यटक यहाँ स्थित और एक मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं जो देवी सीता तथा लक्ष्मण जी को समर्पित है। यहाँ पर सात पानी के कुंद हैं जिनमे से प्रमुख हैं - सीता कुंड, लक्ष्मण कुंड, लव - कुश कुंड, बाल्मीकि कुंड, और सूर्य कुंड। ये सारे कुंड सीता कुटी के निकट हैं, जो की पास के जंगलों में स्थित है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ सहरिया मेले के उपलक्ष्य पर एकत्रित होते हैं, जो मई- जून के समय आयोजित किया जाता है। लोकप्रिय सीताबारी मेल भी हर साल यहाँ आयोजित किया जाता है।
बरोली, कोटा Baroli, Kota
बरोली, कोटा से लगभग 45 किमी. की दूरी पर स्थित एक सुंदर जगह है। यह स्थल राणा प्रताप सागर के रास्ते पर स्थित है। बरोली का शांत और प्यारा वातावरण देशभर के यात्रियों को भारी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करता है। यह जगह अपने पुराने और सुंदर घाटेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
यह अकेला एक ऐसा मंदिर है जो कठिन से कठिन समय में भी खड़ा रहा हालांकि इसकी कुछ मूर्तियां आशिंक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। मंडप के दरवाजे पर एक सुंदर सी भगवान शिव या नटराज की मूर्ति रखी गई है। मंदिर के स्तंभों पर राजस्थानी शिल्प स्पष्ट तौर पर नजर आता है।
अल्निया, कोटा Alnea, Kota
अल्निया, कोटा के पास में स्थित है जो अपनी प्रागैतिहासिक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने पुष्टि की है कि इन पत्थरों पर की गई नक्काशी यानि रॉक कॉरविंग पूर्व ऐतिहासिक काल की है। उन लोगों ने खोज में यह भी स्पष्ट किया कि नक्काशी, चट्टानों और पत्थरों के तेज व धारदार हथियारों के उपकरणों से हुई है। रॉक नक्काशी ज्यादातर प्राचीन लोककथाओं से प्रेरित होती है।
चंबल गार्डन, कोटा Chambal Garden, Kota
चंबल गार्डन, अमर निवास में चंबल नदी के किनारे पर स्थित है। सुरम्य वातावरण के बीच में स्थित यह सुंदर और बड़ा पार्क यहां के लोगों के बीच एक आर्दश पिकनिक स्पॉट के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध है। गार्डन के बीचोंबीच में एक तालाब भी बना है जिसमें कुछ मगममच्छ भी पले हूए हैं। तालाब के ऊपर एक झूला पुल भी बना हुआ है कहा जाता है कि एक समय था जब यहां नदी में काफी मगरमच्छ थे, पूरी नदी में घडि़यालों की भारी संख्या का बसेरा था लेकिन 20 वीं सदी के मध्य के दौरान इनका शिकार तेजी से किया जाने लगा और इनकी संख्या में काफी कमी आ गई। वर्तमान में थोड़े से मगरमच्छ ही बचे हैं जो इस तालाब में रहते हैं।
गैपर नाथ, कोटा Gaipernath, Kota
गैपरनाथ, कोटा के निकट स्थित एक सुरम्य झरना है। सुंदर वातावरण और शांत माहौल के कारण यह स्थल एक आर्दश पिकनिक स्पॉट है। यहां आकर पर्यटक ऊपर से गिरते ठंडे - ठंडे पानी का आनंद उठा सकते है।
दरा वाइल्ड़ लाइफ सेंचुरी, कोटा Darrah Wildlife Sanctuary, Kota
दरा वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1955 में स्थापित किया गया था। पहले समय में इस जगह कोटा के राजा - महाराजा शिकार करने के लिए आते है क्यूंकि यहां भारी संख्या में राइनों, हिरण और बाघों का बसेरा था। वर्तमान में, अभयारण्य में कई प्रजातियों के जानवर जैसे हिरण, स्लथ भालू, भेडि़ये, तेंदुए और नील गाय आदि को रखा गया है। भेडि़एं और हिरण यहां भारी संख्या में देखने को मिलते है।
गाराडिया महादेव मंदिर, कोटा Garadia Mahadev Temple, Kota
गाराडिया महादेव मंदिर, कोटा का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो चंबल नदी के निकट स्थित है। यहां से चंबल कण्ठ और मैदानों का एक शानदार और यादगार दृश्य देखने को मिलता है। यह गंतव्य स्थल भी कोटा के प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट में से गिना जाता है। यहां का शांत और गम्भीर वातावरण यात्रियों को बरबरस अपनी ओर आकर्षित करता है। प्रकृति के शौकीन लोग यादगार समय बिताने के लिए यहां आना पसंद करते हैं।
गुरूद्वारा आजमगढ़ साहिब, कोटा Gurudwara Azamgarh Sahib, Kota
गुरूद्वारा आजमगढ़ साहिब, कोटा में सिखों के बीच एक महान धार्मिक महत्व रखता है। गुरूद्वारा में एक कटार और लकडी की एक जोड़ी चप्पल रखी हुई है। माना जाता है कि यह वस्तुएं सिखों के दसवें गुरू गुरूनानक साहिब की हैं। इसी जगह पर प्रसिद्ध कवि अयोध्या सिंह " हरिउद्ध " भी पैदा हुए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रसिद्ध सूफी संत शेख - निजाम - उद - दीन को भी यहीं दफन किया गया था।
गोदावरी धाम मंदिर, कोटा Godavari Dham, Kota
गोदावरी धाम मंदिर, चंबल नदी के किनारे पर स्थित है। यह कोटा के सुंदर मंदिरों में से एक है जो कि सफेद पत्थर से बना हुआ है। मंदिर के टॉवर काफी उच्च और प्रभावशाली हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु साल भर इस मंदिर दर्शन करने हेतू आते हैं।
हवेली ऑफ देवता श्रीधरजी, कोटा Haveli of Devta Shridharji, Kota
देवता श्रीधर की हवेली कोटा के मुख्य बाजार में स्थित एक खूबसूरत संरचना है। यह जगह मुख्य रूप से दीवारों की चित्रकारी और भित्ति चित्रों के लिए लोकप्रिय है।
कैथून, कोटा Kaithoon, Kota
कैथून, कोटा में हाथ से बनाई जाने वाली कोटा डोरिया साडि़यों के लिए जाना जाता है। यहां पर उत्तम क्वालिटी की फ्रैबिक वाले सूती कपड़े जिनमें सोने और चांदी के धागे की कशीदाकारी होती है, बड़ी मात्रा में बनाएं जाते हैं। इच्छुक पर्यटक, साडि़यों की बुनाई की प्रक्रिया को भी देख सकते हैं।
जगमंदिर पैलेस, कोटा Jagmandir Palace, Kota
जगमंदिर पैलेस, कोटा में कृत्रिम किशोर सागर झील के बीचोंबीच में स्थित है। इस झील का निर्माण 1346 ई. में बूंदी के राजकुमार देहरा देह द्वारा करवाया गया था और पैलेस का निर्माण 1740 ई. में कोटा की रानियों में से एक ने करवाया था। इस महल को सुंदर लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया था जो वास्तव में काफी शानदार लगता है। पर्यटक झील के पारदर्शक पानी में महल का शानदार प्रतिबिंब देख सकते हैं और साथ ही साथ नौका विहार का लुत्फ भी उठा सकते हैं। इस महल का निर्माण कोटा के पूर्व राजाओं के मनोरंजन के लिए किया गया था। केसर बाग, जो अपने शाही स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है, वह भी महल के आसपास के क्षेत्र में ही स्थित है।
कन्सुआ मंदिर, कोटा Kansua Temple, Kota
कन्सुआ मंदिर, कोटा के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में आकर्षण का मुख्य केंद्र चार सिर वाली देवता की मूर्ति है। भक्त भारी संख्या में साल भर यहां दर्शन करने आते हैं और अपने देवता को पूजते हैं। कन्सुआ मंदिर के आसपास के क्षेत्र में कुछ अन्य लोकप्रिय स्थल भी है जिनमें से बुध सिंह बाफना हवेली, भिटरिया कुंड, आधारशिला और ट्रैफिक पार्क प्रमुख है।
कोटा बैराज, कोटा Kota Barrage, Kota
कोटा बैराज, समकालीन अवधि का एक इंजीनियरिंग चमत्कार माना जाता है जो शहर की कई आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से बना था। यह राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसानों के लिए पानी का प्रमुख स्त्रोत है। इसके अलावा, यह बैराज, पानी में शक्ति पैदा करने की उल्लेखनीय क्षमता के कारण भी जाना जाता है। 1960 के चंबल घाटी परियोजना के तहत बनने वाला यह चौथा बांध था। इस बांध की कुल भंड़ारण क्षमता 99 मिमी. क्यूव है। यह बांध 27,332 वर्ग किमी. के जलग्रहण क्षेत्र में फैला हुआ है।
रानी जी की बावड़ी, कोटा Raniji ki Baori, Kota
रानी जी की बावड़ी ( सीढ़ीदार कुआं ) का निर्माण 1699 में रानी नाथावती द्वारा करवाया गया था जो राव की सबसे कम उम्र की रानी थी। वाओरीस यानि बावड़ी ने भारत में मध्ययुगीन काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसी कारण इसे महत्वपूर्ण सामाजिक ढ़ाचों के रूप में गिना जाता है। यह सीढ़ीदार कुआं 165 फीट गहरा है जो राजपूतों के शासनकाल में एक उल्लेखनीय स्थापत्य शैली को प्रर्दशित करता है। इस कुएं का प्रवेश द्वार काफी संकीर्ण है और इसमें लगे हुए स्तंभों पर पत्थर के हाथी भी ऊपर बने हुए हैं। सीढ़ी से नीचे जाने पर कुंआ काफी बड़ा और व्यापक है। पूरा कुंआ काफी अच्छी तरीके से खूबसूरती से की गई खुदाई से एस आकार ब्रेकेट के साथ सजाया गया है।
मथुराधीश मंदिर, कोटा Mathuradheesh Mandir, Kota
मधुराधीश मंदिर, कोटा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर हिंदूओं के देवता भगवान कृष्ण और वल्लभ संप्रदाय जो कि कृष्ण जी के अनुयायी होते हैं को समर्पित है। भगवान कृष्ण की प्रेमिका राधा जी की मूर्ति भी मंदिर में देखी जा सकती है जो भगवान कृष्ण की मूर्ति के पास ही रखी हुई है।
राव माधो सिंह संग्रहालय, कोटा Rao Madho Singh Museum, Kota
राव माधो सिंह संग्रहालय, कोटा का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इसका नाम कोटा के पहले राजा, राजा माधो सिंह के नाम पर पड़ा था। यह पहले एक किला था जिसे बाद में संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया था। इस संग्रहालय में कई नमूने, कालानुक्रमिक तरीके से प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय में सभी कुछ अच्छी तरह से संरक्षित है। इसी कारण इसे राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों में से एक माना जाता है।
राजस्थान राज्य में स्थित प्रमुख शहरों में से कोटा एक है जो चंबल नदी के किनारे पर बसा हुआ है। इसे राज्य की औद्योगिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है क्यूंकि इस शहर में कई पॉवर प्लांट और उद्योग स्थापित हैं। एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक संयंत्र भी कोटा में ही स्थित है। गुजरात और दिल्ली के बीच व्यापार के लिए कोटा एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य करता है। कोटा को शिक्षा का हब भी जाना जाता है क्यूंकि यहां पर देश के कई नामी - गिरामी इंजीनियरिंग कॉलेज और संस्थान स्थित है जो शिक्षा के क्षेत्र में नम्बर वन श्रेणी में आते हैं।
कोटा में क्या - क्या देखें ?
राजस्थान का एक हिस्सा होने के कारण यहां कई हवेली, महल, किले और अन्य आकर्षक स्थान हैं जो पर्यटकों को कोटा आने के लिए बाध्य करते हैं। इसके अलावा, यहां विभिन्न धार्मिक केन्द्र भी हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं। गुरूद्वारा आजमगढ़ साहिब, गोदावरी धाम मंदिर, गाराडिया महादेव मंदिर, और मथुराधीश मंदिर, कोटा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक हैं। कोटा में आजमगढ़ साहिब सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। माना जाता है कि यहां रखे हुए कटार और लकड़ी के चप्पल की जोड़ी, सिखों के दसवें गुरू गुरूनानक जी के हैं। इसके अलावा यह स्थल एक प्रख्यात कवि अयोध्या सिंह "हरिउद्ध" के जन्मस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। कोटा के सभी विख्यात स्मारकों में जगमंदिर पैलेस का विशाल ऐतिहासिक महत्व है। यह स्मारक, शानदार लाल पत्थर से बना हुआ है जो सुंदर कृत्रिम किशोर सागर झील के बीच में स्थित है। पर्यटक इस महल तक नावों से पहुंच सकते है। इस पैलेस में दो प्रसिद्ध संग्रहालय भी हैं जिनके नाम शासकीय संग्रहालय और महाराजा माधो सिंह संग्रहालय है।
कोटा साड़ी
बुनाई के क्षेत्र में व्यापक रूप से सराही जाने वाली कोटा साड़ी न केवल भारत के कई हिस्सों में बल्कि अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी महिलाओं के बीच काफी प्रसिद्ध है। इन साडि़यों को कोटा ड़ोरिया भी कहा जाता है जिसमें डोरिया का अर्थ होता है धागा। इन साडि़यों के बनने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है, दरअसल इन साडि़यों को मैसूर में बुना गया था लेकिन इनके बुनकर कोटा से लाए गए थे जिन्हे एक मुगल आर्मी के जनरल राव किशोर सिंह अपने साथ लेकर आए थे।
अत: मसूरिया नाम से जानी जाने वाली यह साडि़यां कोटा साड़ी के नाम से प्रसिद्ध हो गई जो कोटा में काफी प्रचलित हो गई थी। वैसे देश के कई हिस्सों में इन्हे कोटा डोरिया के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में इन्हे कॉटन और सिल्क का छ: गज का जादू भी कहा जाता है।
कैसे पहुंचे कोटा
यात्री, कोटा तक वायु मार्ग, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। कोटा का नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर एयरपोर्ट है और रेलयात्रियों के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन कोटा रेलवे स्टेशन है। कोटा तक आने के लिए राज्य के कई शहरों जैसे चित्तौड़गढ़, जयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर आदि से आसानी से बसें मिल जाती हैं।
कोटा की जलवायु
कोटा में गर्मी और सर्दी, दोनो प्रकार के मौमस का आंनद उठाया जा सकता है। यहां की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का होता है इस दौरान यहां सर्दियां पड़ती हैं।
सिटी फोर्ट पैलेस, कोटा City Fort Palace, Kota
सिटी फोर्ट पैलेस, कोटा में चंबल नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित है जो राजस्थान में सबसे बड़े किला परिसरों में से जाना जाता है। यह महल कोटा शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। किले की बीहड़ दीवारें, गढ़े हुए गुम्बद और हैंड रेल्स की सजावट उस काल के राजाओं की महिमा प्रदर्शित करते हैं। किले के मुख्य द्वार को हाथी पोल या हाथी गेट भी कहा जाता है जिसे 17 वीं शताब्दी में बनाया गया था।
राजकीय संग्रहालय, कोटा Government Museum, Kota
राजकीय संग्रहालय कोटा का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है जो किशोर सागर झील के निकट स्थित बृज विलास पैलेस के अंदर बना हुआ है। संग्रहालय में दुर्लभ पुराने सिक्के, प्राचीन पांडुलिपियों और मूर्तियों का विशाल संग्रह है। प्रर्दशन के लिए रखी गई सभी मूर्तियों में से बरोली से लाई गई प्रतिमा सबसे अविश्वसनीय है। यह प्रतिमा बेहद खूबसूरती से और सुरूचिपूर्ण ढंग से बनाया एक सुंदर टुकड़ा है जो वाकई काबिले तारीफ है। यहां लगाई गई मूर्ति काफी पुरानी हैं जिनमें से कई तो 4 वीं सदी में बनाई गई थी। यहां पर प्रर्दशित की जाने वाली पांडुलिपियों और चित्रों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि मध्ययुगीन काल के लोग काफी रचनात्मक हुआ करते थे। इन सभी के अलावा, आगंतुक संग्रहालय में आकर सुंदर वेशभूषा और हस्तशिल्प सामानों को भी देख सकते हैं। इस संग्रहालय में भ्रमण करने के लिए पुरातत्व व संग्रहालय के निदेशक, जयपुर से अनुमति लेने की जरूरत पड़ती है। सरकारी छुट्टियों और प्रत्येक शुक्रवार को यह संग्रहालय बंद रहता है। काम के दिनों में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक इस संग्रहालय का भ्रमण किया जा सकता है। संग्रहालय में प्रवेश शुल्क 2 रू देना पड़ता है। संग्रहालय परिसर में फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
सीताबारी, कोटा Sitabari, Kota
सीताबारी बरन के पास स्थित एक प्रसिद्द धार्मिक स्थल है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वो स्थल है जहाँ श्री राम की पत्नी देवी सीता ने अपने पुत्रों यानी लव तथा कुश को जन्म दिया था। श्री राम द्वारा उनका त्याग करने के बाद देवी सीता अपने दोनों पुत्रों के साथ यहीं वास करती थीं। सीताबारी आने वाले पर्यटक यहाँ स्थित और एक मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं जो देवी सीता तथा लक्ष्मण जी को समर्पित है। यहाँ पर सात पानी के कुंद हैं जिनमे से प्रमुख हैं - सीता कुंड, लक्ष्मण कुंड, लव - कुश कुंड, बाल्मीकि कुंड, और सूर्य कुंड। ये सारे कुंड सीता कुटी के निकट हैं, जो की पास के जंगलों में स्थित है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहाँ सहरिया मेले के उपलक्ष्य पर एकत्रित होते हैं, जो मई- जून के समय आयोजित किया जाता है। लोकप्रिय सीताबारी मेल भी हर साल यहाँ आयोजित किया जाता है।
बरोली, कोटा Baroli, Kota
बरोली, कोटा से लगभग 45 किमी. की दूरी पर स्थित एक सुंदर जगह है। यह स्थल राणा प्रताप सागर के रास्ते पर स्थित है। बरोली का शांत और प्यारा वातावरण देशभर के यात्रियों को भारी संख्या में अपनी ओर आकर्षित करता है। यह जगह अपने पुराने और सुंदर घाटेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
यह अकेला एक ऐसा मंदिर है जो कठिन से कठिन समय में भी खड़ा रहा हालांकि इसकी कुछ मूर्तियां आशिंक रूप से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। मंडप के दरवाजे पर एक सुंदर सी भगवान शिव या नटराज की मूर्ति रखी गई है। मंदिर के स्तंभों पर राजस्थानी शिल्प स्पष्ट तौर पर नजर आता है।
अल्निया, कोटा Alnea, Kota
अल्निया, कोटा के पास में स्थित है जो अपनी प्रागैतिहासिक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों ने पुष्टि की है कि इन पत्थरों पर की गई नक्काशी यानि रॉक कॉरविंग पूर्व ऐतिहासिक काल की है। उन लोगों ने खोज में यह भी स्पष्ट किया कि नक्काशी, चट्टानों और पत्थरों के तेज व धारदार हथियारों के उपकरणों से हुई है। रॉक नक्काशी ज्यादातर प्राचीन लोककथाओं से प्रेरित होती है।
चंबल गार्डन, कोटा Chambal Garden, Kota
चंबल गार्डन, अमर निवास में चंबल नदी के किनारे पर स्थित है। सुरम्य वातावरण के बीच में स्थित यह सुंदर और बड़ा पार्क यहां के लोगों के बीच एक आर्दश पिकनिक स्पॉट के रूप में ज्यादा प्रसिद्ध है। गार्डन के बीचोंबीच में एक तालाब भी बना है जिसमें कुछ मगममच्छ भी पले हूए हैं। तालाब के ऊपर एक झूला पुल भी बना हुआ है कहा जाता है कि एक समय था जब यहां नदी में काफी मगरमच्छ थे, पूरी नदी में घडि़यालों की भारी संख्या का बसेरा था लेकिन 20 वीं सदी के मध्य के दौरान इनका शिकार तेजी से किया जाने लगा और इनकी संख्या में काफी कमी आ गई। वर्तमान में थोड़े से मगरमच्छ ही बचे हैं जो इस तालाब में रहते हैं।
गैपर नाथ, कोटा Gaipernath, Kota
गैपरनाथ, कोटा के निकट स्थित एक सुरम्य झरना है। सुंदर वातावरण और शांत माहौल के कारण यह स्थल एक आर्दश पिकनिक स्पॉट है। यहां आकर पर्यटक ऊपर से गिरते ठंडे - ठंडे पानी का आनंद उठा सकते है।
दरा वाइल्ड़ लाइफ सेंचुरी, कोटा Darrah Wildlife Sanctuary, Kota
दरा वन्यजीव अभयारण्य को वर्ष 1955 में स्थापित किया गया था। पहले समय में इस जगह कोटा के राजा - महाराजा शिकार करने के लिए आते है क्यूंकि यहां भारी संख्या में राइनों, हिरण और बाघों का बसेरा था। वर्तमान में, अभयारण्य में कई प्रजातियों के जानवर जैसे हिरण, स्लथ भालू, भेडि़ये, तेंदुए और नील गाय आदि को रखा गया है। भेडि़एं और हिरण यहां भारी संख्या में देखने को मिलते है।
गाराडिया महादेव मंदिर, कोटा Garadia Mahadev Temple, Kota
गाराडिया महादेव मंदिर, कोटा का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है जो चंबल नदी के निकट स्थित है। यहां से चंबल कण्ठ और मैदानों का एक शानदार और यादगार दृश्य देखने को मिलता है। यह गंतव्य स्थल भी कोटा के प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट में से गिना जाता है। यहां का शांत और गम्भीर वातावरण यात्रियों को बरबरस अपनी ओर आकर्षित करता है। प्रकृति के शौकीन लोग यादगार समय बिताने के लिए यहां आना पसंद करते हैं।
गुरूद्वारा आजमगढ़ साहिब, कोटा Gurudwara Azamgarh Sahib, Kota
गुरूद्वारा आजमगढ़ साहिब, कोटा में सिखों के बीच एक महान धार्मिक महत्व रखता है। गुरूद्वारा में एक कटार और लकडी की एक जोड़ी चप्पल रखी हुई है। माना जाता है कि यह वस्तुएं सिखों के दसवें गुरू गुरूनानक साहिब की हैं। इसी जगह पर प्रसिद्ध कवि अयोध्या सिंह " हरिउद्ध " भी पैदा हुए थे। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्रसिद्ध सूफी संत शेख - निजाम - उद - दीन को भी यहीं दफन किया गया था।
गोदावरी धाम मंदिर, कोटा Godavari Dham, Kota
गोदावरी धाम मंदिर, चंबल नदी के किनारे पर स्थित है। यह कोटा के सुंदर मंदिरों में से एक है जो कि सफेद पत्थर से बना हुआ है। मंदिर के टॉवर काफी उच्च और प्रभावशाली हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु साल भर इस मंदिर दर्शन करने हेतू आते हैं।
हवेली ऑफ देवता श्रीधरजी, कोटा Haveli of Devta Shridharji, Kota
देवता श्रीधर की हवेली कोटा के मुख्य बाजार में स्थित एक खूबसूरत संरचना है। यह जगह मुख्य रूप से दीवारों की चित्रकारी और भित्ति चित्रों के लिए लोकप्रिय है।
कैथून, कोटा Kaithoon, Kota
कैथून, कोटा में हाथ से बनाई जाने वाली कोटा डोरिया साडि़यों के लिए जाना जाता है। यहां पर उत्तम क्वालिटी की फ्रैबिक वाले सूती कपड़े जिनमें सोने और चांदी के धागे की कशीदाकारी होती है, बड़ी मात्रा में बनाएं जाते हैं। इच्छुक पर्यटक, साडि़यों की बुनाई की प्रक्रिया को भी देख सकते हैं।
जगमंदिर पैलेस, कोटा Jagmandir Palace, Kota
जगमंदिर पैलेस, कोटा में कृत्रिम किशोर सागर झील के बीचोंबीच में स्थित है। इस झील का निर्माण 1346 ई. में बूंदी के राजकुमार देहरा देह द्वारा करवाया गया था और पैलेस का निर्माण 1740 ई. में कोटा की रानियों में से एक ने करवाया था। इस महल को सुंदर लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया था जो वास्तव में काफी शानदार लगता है। पर्यटक झील के पारदर्शक पानी में महल का शानदार प्रतिबिंब देख सकते हैं और साथ ही साथ नौका विहार का लुत्फ भी उठा सकते हैं। इस महल का निर्माण कोटा के पूर्व राजाओं के मनोरंजन के लिए किया गया था। केसर बाग, जो अपने शाही स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है, वह भी महल के आसपास के क्षेत्र में ही स्थित है।
कन्सुआ मंदिर, कोटा Kansua Temple, Kota
कन्सुआ मंदिर, कोटा के सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर में आकर्षण का मुख्य केंद्र चार सिर वाली देवता की मूर्ति है। भक्त भारी संख्या में साल भर यहां दर्शन करने आते हैं और अपने देवता को पूजते हैं। कन्सुआ मंदिर के आसपास के क्षेत्र में कुछ अन्य लोकप्रिय स्थल भी है जिनमें से बुध सिंह बाफना हवेली, भिटरिया कुंड, आधारशिला और ट्रैफिक पार्क प्रमुख है।
कोटा बैराज, कोटा Kota Barrage, Kota
कोटा बैराज, समकालीन अवधि का एक इंजीनियरिंग चमत्कार माना जाता है जो शहर की कई आवश्यकताओं की पूर्ति के उद्देश्य से बना था। यह राजस्थान और मध्यप्रदेश के किसानों के लिए पानी का प्रमुख स्त्रोत है। इसके अलावा, यह बैराज, पानी में शक्ति पैदा करने की उल्लेखनीय क्षमता के कारण भी जाना जाता है। 1960 के चंबल घाटी परियोजना के तहत बनने वाला यह चौथा बांध था। इस बांध की कुल भंड़ारण क्षमता 99 मिमी. क्यूव है। यह बांध 27,332 वर्ग किमी. के जलग्रहण क्षेत्र में फैला हुआ है।
रानी जी की बावड़ी, कोटा Raniji ki Baori, Kota
रानी जी की बावड़ी ( सीढ़ीदार कुआं ) का निर्माण 1699 में रानी नाथावती द्वारा करवाया गया था जो राव की सबसे कम उम्र की रानी थी। वाओरीस यानि बावड़ी ने भारत में मध्ययुगीन काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसी कारण इसे महत्वपूर्ण सामाजिक ढ़ाचों के रूप में गिना जाता है। यह सीढ़ीदार कुआं 165 फीट गहरा है जो राजपूतों के शासनकाल में एक उल्लेखनीय स्थापत्य शैली को प्रर्दशित करता है। इस कुएं का प्रवेश द्वार काफी संकीर्ण है और इसमें लगे हुए स्तंभों पर पत्थर के हाथी भी ऊपर बने हुए हैं। सीढ़ी से नीचे जाने पर कुंआ काफी बड़ा और व्यापक है। पूरा कुंआ काफी अच्छी तरीके से खूबसूरती से की गई खुदाई से एस आकार ब्रेकेट के साथ सजाया गया है।
मथुराधीश मंदिर, कोटा Mathuradheesh Mandir, Kota
मधुराधीश मंदिर, कोटा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर हिंदूओं के देवता भगवान कृष्ण और वल्लभ संप्रदाय जो कि कृष्ण जी के अनुयायी होते हैं को समर्पित है। भगवान कृष्ण की प्रेमिका राधा जी की मूर्ति भी मंदिर में देखी जा सकती है जो भगवान कृष्ण की मूर्ति के पास ही रखी हुई है।
राव माधो सिंह संग्रहालय, कोटा Rao Madho Singh Museum, Kota
राव माधो सिंह संग्रहालय, कोटा का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। इसका नाम कोटा के पहले राजा, राजा माधो सिंह के नाम पर पड़ा था। यह पहले एक किला था जिसे बाद में संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया था। इस संग्रहालय में कई नमूने, कालानुक्रमिक तरीके से प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय में सभी कुछ अच्छी तरह से संरक्षित है। इसी कारण इसे राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों में से एक माना जाता है।
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