भिलवाड़ा का सफर

टैक्सटाइल सिटी ऑफ इंडिया
भिलवाड़ा को टैक्सटाइल सिटी ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक है। यह राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। एक समय में यहां भीलों की बड़ी तादात पाई जाती थी। इसी कारण इस स्थान का नाम भिलवाड़ा पड़ा। भिलवाड़ा में कपड़ों के प्रमुख ब्रांड जैसे बीएसएल, मयूर सूटिंग और सुजूकी सूटिंग का उत्पादन होता है।

राजस्थान का भिलवाड़ा जिला मेवाड़ क्षेत्र के साथ-साथ पूरे राजस्थान का प्रमुख औद्योगिक स्थान है। यहां पर बड़ी संख्या में टैक्सटाइल उद्योग लगे हुए हैं। साहस और बलिदान की भूमि भिलवाड़ा की सीमाएं पूर्व में बूंदी, पश्चिम में राजसमंद, उत्तर में अजमेर और दक्षिण में चित्तौड़गढ़ से मिलती हैं।

भिलवाड़ा के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसकी स्थापना करीब 300 से 400 साल पहले हुई थी। यहां के शासकों में निरंतर युद्ध हुए इसलिए इसे कई बार उजड़ना पड़ा। अंतत: अंग्रेजी शासन के दौरान 18वीं शताब्दी में इसकी स्थिति में धीरे-धीरे परिवर्तन हुआ। आज यह उद्योग की दृष्टि से ही नहीं पर्यटन की दृष्टि से भी लोगों को आकर्षित करता है।

क्या देखें
हर्नी महादेव
 हर्नी महादेव भिलवाड़ा के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह स्थान भिलवाड़ा से 6 किलोमी. की दूरी पर स्थित है। यहां विशाल पत्थर के नीचे शिवलिंग स्थापित है। शिवरात्रि के अवसर यहां तीन दिनों तक मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले में काफी संख्या में लोग यहां आते हैं। यहां पर्वत के सबसे ऊपरी भाग में चामुंडा माता का मंदिर भी स्थित है।

मेझा झील- भिलवाड़ा से मेझा झील 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान पर्यटक स्थल के रूप में काफी प्रसिद्ध है। यह झील 30 फीट गहरी है। यहां बच्चों के लिए स्विमिंग पूल और टॉय ट्रेन की सुविधा भी उपलब्ध है।

मेनल- यह स्थान भिलवाड़ा-कोटा मार्ग पर स्थित है। जो कि 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां एक खूबसूरत वॉटर फॉल (जल प्रपात) है। यह वॉटर फॉल करीबन 150 फीट गहरा है। यह वॉटर फॉल वी आकार की घाटी पर स्थित है। इसके अतिरिक्त 12वीं शताब्दी के दौरान चौहान शासकों ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर महालेश्‍वर नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान शिव की मूर्ति है। यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय जुलाई से अक्टूबर है।

जोगनिया माता- जोगनिया माता काफी प्रसिद्ध मंदिर है। यह भिलवाड़ा शहर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में किया गया। यह मंदिर घने जंगल के मध्य मेंस्थित है। यहां काफी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। नवरात्रा के अवसर पर यहां बकरी और भैसों की बलि दी जाती है। इसके अतिरिक्त नवरात्रा के समय यहां नौ दिनों तक मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले काफी संख्या में लोग सम्मिलित होते हैं।



त्रिवेनी- यह जगह भिवाड़ा शहर से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। त्रिवेनी में तीन नदियां बार्ड, मनाली और बादच्च आपस में मिलती है। यह जगह त्रिवेनी चौराहा के नाम से भी प्रसिद्ध है। त्रिवेदी के समीप ही भगवान शिव का पुराना मंदिर भी है। पूर्णिमा, अमावस्या, कार्तिक और माघ महीने में काफी संख्या में लोग यहां स्नान करने के लिए आते हैं। शिवरात्रि के दौरान यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है।


मंडलगढ़ किला- मंडलगढ़ किला भिलवाड़ा से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह किला एक किलोमीटर लंबा है। इसके यह समुद्र तल से 1850 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस जगह पर देवी-देवताओं के कई मंदिर भी है।


शाहपुरा- शाहपुरा जहाईपुरा-देवली मार्ग से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत को स्वतंत्रता दिलाने में शाहपुरा का विशेष योगदान रहा है। इसके अतिरिक्त यह अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र था। शाहपुरा यहां स्थित सात सौ साल पुरानी पेंटिंग के लिए भी प्रसिद्ध है। इस चित्रकारी के लिए चित्रकार को राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

कैसे जाएं
हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट उदयपुर में है। यह 140 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग: भिलवाड़ा पंहुचने कई प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, उदयपुर, इंदौर, खांडवा, रतलाम, जयपुर, अमजेर और अहमदाबाद आदि रल द्वारा पंहुचा जा सकता है। रल सम्बन्धित जानकारी के लिए संपर्क करें-131, 01482-226770
सड़क मार्ग: भिलवाड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग चार पर स्थित है। दिल्ली, उदयपुर, जयपुर, अमजेर और अहमदाबाद, जोधपुर, कोटा आदि से भिलवाड़ा के लिए सीधी बस सेवा है। बस से जुड़ी जानकारी के लिए संपर्क करें- 01482-220111

एक नजर में
राज्य: राजस्थान
शहर: भिलवाड़ा
क्षेत्रफल: 10,455 वर्ग किलोमीटर
ऊंचाई: समुद्र तल से 100 मीटर की ऊंचाई पर
एसटीडी कोड: 01482
घूमने का समय: सितम्बर से मार्च
स्थानीय भाषा: राजस्थानी, हिन्दी और अंग्रेजी
















Comments

Popular posts from this blog

झुंझनू का सफर

पिलानी का सफर

झालावाड़ का सफर