टोंक का सफर
टोंक – दिलचस्प पौराणिक कथाओं का शहर
टोंक शहर राजस्थान के टोंक जिले में बनास नदी के किनारे स्थित है। कभी विरासत के राज्य रहे इस शहर पर भारत की स्वतंत्रता के पहले कई राजवंशों ने शासन किया। यह जयपुर शहर से 95 किमी. की दूरी पर स्थित है।
टोंक में कई चमत्कार हैं!
इस क्षेत्र में मौजूद कई ऐतिहासिक स्मारकों के कारण टोंक बीते युग के एक किस्से का वर्णन करता है। इस शहर में और इसके आसपास पर्यटन के अनेक आकर्षण है। सुनहरी कोठी या सोने(स्वर्ण) की हवेली इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख आकर्षण है।नवाब मोहम्मद इब्राहिम खान द्वारा संगीत, नृत्य और कविताओं की प्रस्तुति के लिए बनाई गई यह इमारत में कुछ शानदार ग्लास पेंटिंग भी हैं। यह नज़र बाग रोड़ पर बड़ा कुआँ में स्थित है और इसे शीश महल भी कहा जाता है। इस इमारत की दीवारों पर सोने की पॉलिश की गई है और यहाँ के कक्ष में कांच से जड़ा हुआ एक सुंदर चित्र है।
सुनहरी कोठी के अलावा यहाँ अनेक ऐतिहासिक स्मारक हैं जो इस शहर का समृद्ध इतिहास बताते हैं। रसिया की टेकरी एक ऐसा ही पर्यटन आकर्षण है जिसके नाम के पीछे एक रोचक कहानी है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान का नाम एक कायस्थ प्रेमी के नाम पर पड़ा जो अपना अधिकांश समय प्रेमगीत गाते हुए बिताता था। इस क्षेत्र के अन्य ऐतिहासिक स्मारक घंटा घर और जामा मस्जिद है। टोंक की जामा मस्जिद भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक है और इस मुस्लिम धार्मिक स्थल की यात्रा करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।
मैसूर गार्डन और हीरन मगरी पार्क के आधार पर बनाया गया शिवाजी गार्डन पर्यटन का एक अन्य आकर्षण है। कलाकारों की असाधारण रचनात्मकता के गवाह बनने के लिए पर्यटक हाथी भाता की सैर भी कर सकते हैं जहाँ कलाकारों ने एक पत्थर को तराशकर हाथी का आकार बनाया है। ये दोनों स्थान शहर के पास क्रमश: 30 किमी. और 22 किमी. की दूरी पर स्थित हैं।
टोंक पहुँचना
टोंक में हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन नहीं है, हालांकि यह शहर रास्ते द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो टोंक शहर से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। देश के विभिन्न भागों और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों से जयपुर के लिए कई उड़ानें उपलब्ध हैं। बनस्थली – नेवई निकटतम रेलवे स्टेशन है जहाँ से देश के कुछ भागों के लिए रेल सेवा उपलब्ध है। टोंक की यात्रा करने के इच्छुक पर्यटकों के लिए पड़ोसी शहरों और कई प्रमुख शहरों से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। पास के विभिन्न स्थानों से राजस्थान राज्य सड़क परिवहन (आर.एस.आर.टी.सी.) और अन्य कई निजी बसें उपलब्ध हैं।
टोंक की जलवायु
टोंक में गर्म अर्द्ध शुष्क जलवायु का अनुभव होता है और यहाँ के प्रमुख मौसम गर्मी, मानसून और ठंड है। इस शहर की यात्रा के लिए उत्तम समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है जब मौसम ठंडा और आरामदायक होता है। पर्यटक ऐतिहासिक रूप से समृद्ध इस शहर की यात्रा मानसून के दौरान भी कर सकते हैं जब यहाँ तापमान सामान्य होता है और हल्की वर्षा होती है।
रसिया की टेकरी, टोंक Rasiya Ke Tekri, Tonk
रसिया की टेकडी टोंक शहर का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। एक लोककथा के अनुसार इस स्थान का नाम एक कायस्थ प्रेमी के नाम पर पड़ा जो इस स्मारक पर प्रेमगीत गाता था। वर्ष 1859 में श्री अंबाजी महाराज ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और उसके बाद टोंक के गवर्नर ने कायस्थ प्रेमी की याद को ताज़ा रखने के लिए इस स्मारक को संरक्षित किया।
सुनहरी कोठी, टोंक Sunehri Kothi, Tonk
सुनहरी कोठी जिसे शीश महल भी कहा जाता है एक बहुत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है जो प्रतिवर्ष हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस स्मारक की आंतरिक दीवारों पर सोने की पॉलिश की गई है और इन पर हीरों और कांच की कलाकारी की गई है। यह महल टोंक में नजर बाग़ रास्ते पर बड़े कुएं के पास बना हुआ है जिसका निर्माण नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खान ने करवाया था जो संगीत, नृत्य और कविताओं का बहुत शौकीन था। इस इमारत की कलाकारी और स्थापत्य उत्कृष्टता को देखते हुए इसे सोने की हवेली भी कहा जाता है। सुनहरी कोठी की संपूर्ण संरचना जडाऊ गहने की तरह दिखती है।
बीसलपुर, टोंक Bisalpur, Tonk
बीसलपुर राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक गाँव है और यह अपने भगवान गोकर्णेश्वर के प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्द है। बनास नदी पर बनाया गया बीसलपुर बाँध बीसलपुर का दूसरा आकर्षण है जो इस गाँव को चर्चा में लाता है। यह बाँध दो चरणों में बनाया गया। पहले चरण का उद्देश्य गाँव के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करवाना था जबकि दूसरे चरण का उद्देश्य सिंचाई की सुविधाओं में सुधार लाना था। यह बाँध 574 मीटर लंबा और 39.5 मीटर ऊँचा है।
चंद्लाई, टोंक Chandlai, Tonk
चंद्लाई एक गाँव है जो टोंक – कोटा रास्ते पर टोंक से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना चंद्लाई ने की थी जो उस समय टोंक का शासक था। उसने गाँव के पास एक पक्का तलब भी बनवाया और उसका नाम अपनी बेटी के नाम पर भाला रखा। तालाब की दीवार पर उनके शिलालेख बैसाख सुदी 15 संवत् 1027 (970 ई.) के हैं।
घंटा घर, टोंक Ghanta Ghar, Tonk
घंटा घर टोंक का ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। इसका निर्माण टोंक के नवाब मोहम्मद सादत अली खान ने 1937 में किया था। स्थानीय लोगों के अनुसार सन 1936 में इस स्थान के लोग हैजे की महामारी से पीड़ित हुए थे। नवाब ने इन ग्रसित लोगों में दवाईयां बांटी और एकत्रित धनराशि का उपयोग क्लॉक टॉवर (घंटा घर) बनाने के लिए किया गया।
हाथी भाता, टोंक Hathi Bhata, Tonk
हाथी भाता पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण है जो टोंक शहर से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है। ईसा पश्चात 1200 में राम नाथ सलत द्वारा बनाया गया यह स्मारक कलाकारों की कला की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है जिन्होंने एक पत्थर से नक्काशीदार हाथी बनाया है। हाथी के दाहिने कान पर लिखे हुए शिलालेख हाथी भाता की ऐतिहासिक कहानी बताते हैं।
जलदेवी मंदिर, टोंक Jaldevi Mandir, Tonk
जलदेवी मंदिर तोडा राय सिंह शहर के पास बावड़ी गाँव में स्थित है। यह मंदिर जलदेवी को समर्पित है और इसका निर्माण 250 वर्ष पूर्व हुआ था। लोगों का ऐसा विश्वास है लगभग 400 वर्ष पहले तक देवी की मूर्ति पास के एक कुएं में थी। चैत्र पूर्णिमा के समय इस मंदिर में तीन दिन का एक त्यौहार मनाया जाता है।
कल्पवृक्ष, टोंक Kalpvriksh, Tonk
कल्पवृक्ष एक ऐतिहासिक वृक्ष है जो टोंक जिले के बलुंदा गाँव में स्थित है। इस वृक्ष को पवित्र माना जाता है और कार्तिक महीने में अनेक लोग इस वृक्ष का दर्शन करने के लिए आते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि यह वृक्ष उन भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी करता है जो यहाँ आकर पूजा करते हैं।
मंदाकला, टोंक Mandakala, Tonk
मंदाकला राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक गाँव है और यह नगर किले से 2 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसे राजस्थान का मिनी पुष्कर (लघु पुष्कर) भी कहा जाता है। यहाँ अनेक वृक्ष और हरियाली है जो प्रकृति प्रेमियों को प्रसन्न करती है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि मांडव ने इस स्थान पर तपस्या की थी जिनके नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा। यहाँ एक वार्षिक त्यौहार मनाया जाता है जिसे मनाने के लिए आस पास के गाँवों से लोग यहाँ आते हैं। इस गाँव में प्रसिद्द मुकुंदेश्वर महादेव मंदिर भी है जहाँ 4 फुट ऊँचा शिवलिंग है जो यहाँ का प्रमुख आकर्षण है।
नागर किला, टोंक Nagarfort, Tonk
नागर किला एक ग्राम पंचायत है जिसे पहले धारा नगारी के नाम से जाना जाता था। इस गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दौरान एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस गांव में एक पवित्र तालाब और कई सारे मंदिर भी हैं। गौतम मंदिर, माता मंदिर, श्याम मंदिर, चारभुजा मंदिर और पंचकुइयन यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं
राजमहल, टोंक Rajmahal, Tonk
बनास नदी के किनारे स्थित राजमहल दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। वह स्थान जहाँ राजमहल स्थित है, तीन नदियों बनास, खारी और दाई नदियों का संगम है। पर्यटक सलाम सिंह की डाह में नाव की सवारी कर सकते हैं। राजमहल का ऐतिहासिक स्मारक काकोर में बड़े पर्वत पर स्थित है।
शिवाजी गार्डन, टोंक Shivaji Garden, Tonk
शिवाजी गार्डन नेवई शहर की भगत सिंह कॉलोनी में स्थित है जो टोंक से 30 किमी. की दूरी पर है। यह गार्डन जो मैसूर के गार्डन के समान है और हीरन मगरी पार्क सुंदर पर्यटन स्थल हैं। संगीतमय फ़व्वारे और स्वीमिंगपूल गार्डन की शोभा बढ़ाते हैं जो लगभग पाँच एकड़ के विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। यह गार्डन राष्ट्रीय राजमार्ग पर जयपुर शहर से 70 किमी. की दूरी पर स्थित है।
टोडा राय सिंह शहर, टोंक Toda Rai Singh Town, Tonk
टोडा राय सिंह राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक शहर और नगरपालिका है। इसकी स्थापना चौथीं शताब्दी में नगास द्वारा की गई और बाद में इस पर चत्सू के युहिलस और अजमेर के चौहानों ने राज्य किया। 15 वीं और 16 वीं शताब्दी के दौरान यह सोलंकी राजपूतों की राजधानी थी। इस शहर का नाम राय सिंह सिसोदिया के नाम पर पड़ा जो यहाँ के प्रसिद्द शासक थे। वे शाहजहाँ के शासनकाल में एक मुगल ‘मंसूबदार’ थे। टोडा राय सिंह में पर्यटन के अनेक आकर्षण हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्द आकर्षण श्री किलेश्वर महादेव, नाहरसिंहमाता, आम सागर, बुध सागर, संत पीपा जी की गुफ़ा, कुशल बाग, हादी रानी की बावड़ी(कुंड), राजा राय सिंह महल, इसार बावड़ी और भोपत बावडी हैं। यहाँ कई सुंदर मंदिर भी हैं। इसमें कल्याणजी, राघवरायजी, गोपीनाथजी और गोविन्ददेवजी शामिल हैं।
टोंक: एक नजर में
क्षेत्रफल: 7194 वर्ग किलोमीटर
भाषा: राजस्थानी, हिन्दी और अंग्रेजी
घूमने का समय: सितम्बर से मार्च
एसटीडी कोड: 01562
टोंक शहर राजस्थान के टोंक जिले में बनास नदी के किनारे स्थित है। कभी विरासत के राज्य रहे इस शहर पर भारत की स्वतंत्रता के पहले कई राजवंशों ने शासन किया। यह जयपुर शहर से 95 किमी. की दूरी पर स्थित है।
टोंक में कई चमत्कार हैं!
इस क्षेत्र में मौजूद कई ऐतिहासिक स्मारकों के कारण टोंक बीते युग के एक किस्से का वर्णन करता है। इस शहर में और इसके आसपास पर्यटन के अनेक आकर्षण है। सुनहरी कोठी या सोने(स्वर्ण) की हवेली इस क्षेत्र का सबसे प्रमुख आकर्षण है।नवाब मोहम्मद इब्राहिम खान द्वारा संगीत, नृत्य और कविताओं की प्रस्तुति के लिए बनाई गई यह इमारत में कुछ शानदार ग्लास पेंटिंग भी हैं। यह नज़र बाग रोड़ पर बड़ा कुआँ में स्थित है और इसे शीश महल भी कहा जाता है। इस इमारत की दीवारों पर सोने की पॉलिश की गई है और यहाँ के कक्ष में कांच से जड़ा हुआ एक सुंदर चित्र है।
सुनहरी कोठी के अलावा यहाँ अनेक ऐतिहासिक स्मारक हैं जो इस शहर का समृद्ध इतिहास बताते हैं। रसिया की टेकरी एक ऐसा ही पर्यटन आकर्षण है जिसके नाम के पीछे एक रोचक कहानी है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस स्थान का नाम एक कायस्थ प्रेमी के नाम पर पड़ा जो अपना अधिकांश समय प्रेमगीत गाते हुए बिताता था। इस क्षेत्र के अन्य ऐतिहासिक स्मारक घंटा घर और जामा मस्जिद है। टोंक की जामा मस्जिद भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक है और इस मुस्लिम धार्मिक स्थल की यात्रा करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।
मैसूर गार्डन और हीरन मगरी पार्क के आधार पर बनाया गया शिवाजी गार्डन पर्यटन का एक अन्य आकर्षण है। कलाकारों की असाधारण रचनात्मकता के गवाह बनने के लिए पर्यटक हाथी भाता की सैर भी कर सकते हैं जहाँ कलाकारों ने एक पत्थर को तराशकर हाथी का आकार बनाया है। ये दोनों स्थान शहर के पास क्रमश: 30 किमी. और 22 किमी. की दूरी पर स्थित हैं।
टोंक पहुँचना
टोंक में हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन नहीं है, हालांकि यह शहर रास्ते द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। निकटतम हवाई अड्डा जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो टोंक शहर से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। देश के विभिन्न भागों और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों से जयपुर के लिए कई उड़ानें उपलब्ध हैं। बनस्थली – नेवई निकटतम रेलवे स्टेशन है जहाँ से देश के कुछ भागों के लिए रेल सेवा उपलब्ध है। टोंक की यात्रा करने के इच्छुक पर्यटकों के लिए पड़ोसी शहरों और कई प्रमुख शहरों से नियमित बस सेवा उपलब्ध है। पास के विभिन्न स्थानों से राजस्थान राज्य सड़क परिवहन (आर.एस.आर.टी.सी.) और अन्य कई निजी बसें उपलब्ध हैं।
टोंक की जलवायु
टोंक में गर्म अर्द्ध शुष्क जलवायु का अनुभव होता है और यहाँ के प्रमुख मौसम गर्मी, मानसून और ठंड है। इस शहर की यात्रा के लिए उत्तम समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है जब मौसम ठंडा और आरामदायक होता है। पर्यटक ऐतिहासिक रूप से समृद्ध इस शहर की यात्रा मानसून के दौरान भी कर सकते हैं जब यहाँ तापमान सामान्य होता है और हल्की वर्षा होती है।
रसिया की टेकरी, टोंक Rasiya Ke Tekri, Tonk
रसिया की टेकडी टोंक शहर का प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। एक लोककथा के अनुसार इस स्थान का नाम एक कायस्थ प्रेमी के नाम पर पड़ा जो इस स्मारक पर प्रेमगीत गाता था। वर्ष 1859 में श्री अंबाजी महाराज ने इसका पुनर्निर्माण करवाया और उसके बाद टोंक के गवर्नर ने कायस्थ प्रेमी की याद को ताज़ा रखने के लिए इस स्मारक को संरक्षित किया।
सुनहरी कोठी, टोंक Sunehri Kothi, Tonk
सुनहरी कोठी जिसे शीश महल भी कहा जाता है एक बहुत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थान है जो प्रतिवर्ष हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस स्मारक की आंतरिक दीवारों पर सोने की पॉलिश की गई है और इन पर हीरों और कांच की कलाकारी की गई है। यह महल टोंक में नजर बाग़ रास्ते पर बड़े कुएं के पास बना हुआ है जिसका निर्माण नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली खान ने करवाया था जो संगीत, नृत्य और कविताओं का बहुत शौकीन था। इस इमारत की कलाकारी और स्थापत्य उत्कृष्टता को देखते हुए इसे सोने की हवेली भी कहा जाता है। सुनहरी कोठी की संपूर्ण संरचना जडाऊ गहने की तरह दिखती है।
बीसलपुर, टोंक Bisalpur, Tonk
बीसलपुर राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक गाँव है और यह अपने भगवान गोकर्णेश्वर के प्राचीन मंदिर के लिए प्रसिद्द है। बनास नदी पर बनाया गया बीसलपुर बाँध बीसलपुर का दूसरा आकर्षण है जो इस गाँव को चर्चा में लाता है। यह बाँध दो चरणों में बनाया गया। पहले चरण का उद्देश्य गाँव के लोगों को पीने का पानी उपलब्ध करवाना था जबकि दूसरे चरण का उद्देश्य सिंचाई की सुविधाओं में सुधार लाना था। यह बाँध 574 मीटर लंबा और 39.5 मीटर ऊँचा है।
चंद्लाई, टोंक Chandlai, Tonk
चंद्लाई एक गाँव है जो टोंक – कोटा रास्ते पर टोंक से 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना चंद्लाई ने की थी जो उस समय टोंक का शासक था। उसने गाँव के पास एक पक्का तलब भी बनवाया और उसका नाम अपनी बेटी के नाम पर भाला रखा। तालाब की दीवार पर उनके शिलालेख बैसाख सुदी 15 संवत् 1027 (970 ई.) के हैं।
घंटा घर, टोंक Ghanta Ghar, Tonk
घंटा घर टोंक का ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। इसका निर्माण टोंक के नवाब मोहम्मद सादत अली खान ने 1937 में किया था। स्थानीय लोगों के अनुसार सन 1936 में इस स्थान के लोग हैजे की महामारी से पीड़ित हुए थे। नवाब ने इन ग्रसित लोगों में दवाईयां बांटी और एकत्रित धनराशि का उपयोग क्लॉक टॉवर (घंटा घर) बनाने के लिए किया गया।
हाथी भाता, टोंक Hathi Bhata, Tonk
हाथी भाता पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण है जो टोंक शहर से 22 किमी. की दूरी पर स्थित है। ईसा पश्चात 1200 में राम नाथ सलत द्वारा बनाया गया यह स्मारक कलाकारों की कला की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करता है जिन्होंने एक पत्थर से नक्काशीदार हाथी बनाया है। हाथी के दाहिने कान पर लिखे हुए शिलालेख हाथी भाता की ऐतिहासिक कहानी बताते हैं।
जलदेवी मंदिर, टोंक Jaldevi Mandir, Tonk
जलदेवी मंदिर तोडा राय सिंह शहर के पास बावड़ी गाँव में स्थित है। यह मंदिर जलदेवी को समर्पित है और इसका निर्माण 250 वर्ष पूर्व हुआ था। लोगों का ऐसा विश्वास है लगभग 400 वर्ष पहले तक देवी की मूर्ति पास के एक कुएं में थी। चैत्र पूर्णिमा के समय इस मंदिर में तीन दिन का एक त्यौहार मनाया जाता है।
कल्पवृक्ष, टोंक Kalpvriksh, Tonk
कल्पवृक्ष एक ऐतिहासिक वृक्ष है जो टोंक जिले के बलुंदा गाँव में स्थित है। इस वृक्ष को पवित्र माना जाता है और कार्तिक महीने में अनेक लोग इस वृक्ष का दर्शन करने के लिए आते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि यह वृक्ष उन भक्तों की सभी इच्छाएँ पूरी करता है जो यहाँ आकर पूजा करते हैं।
मंदाकला, टोंक Mandakala, Tonk
मंदाकला राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक गाँव है और यह नगर किले से 2 किमी. की दूरी पर स्थित है। इसे राजस्थान का मिनी पुष्कर (लघु पुष्कर) भी कहा जाता है। यहाँ अनेक वृक्ष और हरियाली है जो प्रकृति प्रेमियों को प्रसन्न करती है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि मांडव ने इस स्थान पर तपस्या की थी जिनके नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा। यहाँ एक वार्षिक त्यौहार मनाया जाता है जिसे मनाने के लिए आस पास के गाँवों से लोग यहाँ आते हैं। इस गाँव में प्रसिद्द मुकुंदेश्वर महादेव मंदिर भी है जहाँ 4 फुट ऊँचा शिवलिंग है जो यहाँ का प्रमुख आकर्षण है।
नागर किला, टोंक Nagarfort, Tonk
नागर किला एक ग्राम पंचायत है जिसे पहले धारा नगारी के नाम से जाना जाता था। इस गांव में कार्तिक पूर्णिमा के दौरान एक मेले का भी आयोजन किया जाता है। इस गांव में एक पवित्र तालाब और कई सारे मंदिर भी हैं। गौतम मंदिर, माता मंदिर, श्याम मंदिर, चारभुजा मंदिर और पंचकुइयन यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं
राजमहल, टोंक Rajmahal, Tonk
बनास नदी के किनारे स्थित राजमहल दुनिया भर से बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। वह स्थान जहाँ राजमहल स्थित है, तीन नदियों बनास, खारी और दाई नदियों का संगम है। पर्यटक सलाम सिंह की डाह में नाव की सवारी कर सकते हैं। राजमहल का ऐतिहासिक स्मारक काकोर में बड़े पर्वत पर स्थित है।
शिवाजी गार्डन, टोंक Shivaji Garden, Tonk
शिवाजी गार्डन नेवई शहर की भगत सिंह कॉलोनी में स्थित है जो टोंक से 30 किमी. की दूरी पर है। यह गार्डन जो मैसूर के गार्डन के समान है और हीरन मगरी पार्क सुंदर पर्यटन स्थल हैं। संगीतमय फ़व्वारे और स्वीमिंगपूल गार्डन की शोभा बढ़ाते हैं जो लगभग पाँच एकड़ के विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ है। यह गार्डन राष्ट्रीय राजमार्ग पर जयपुर शहर से 70 किमी. की दूरी पर स्थित है।
टोडा राय सिंह शहर, टोंक Toda Rai Singh Town, Tonk
टोडा राय सिंह राजस्थान के टोंक जिले में स्थित एक शहर और नगरपालिका है। इसकी स्थापना चौथीं शताब्दी में नगास द्वारा की गई और बाद में इस पर चत्सू के युहिलस और अजमेर के चौहानों ने राज्य किया। 15 वीं और 16 वीं शताब्दी के दौरान यह सोलंकी राजपूतों की राजधानी थी। इस शहर का नाम राय सिंह सिसोदिया के नाम पर पड़ा जो यहाँ के प्रसिद्द शासक थे। वे शाहजहाँ के शासनकाल में एक मुगल ‘मंसूबदार’ थे। टोडा राय सिंह में पर्यटन के अनेक आकर्षण हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्द आकर्षण श्री किलेश्वर महादेव, नाहरसिंहमाता, आम सागर, बुध सागर, संत पीपा जी की गुफ़ा, कुशल बाग, हादी रानी की बावड़ी(कुंड), राजा राय सिंह महल, इसार बावड़ी और भोपत बावडी हैं। यहाँ कई सुंदर मंदिर भी हैं। इसमें कल्याणजी, राघवरायजी, गोपीनाथजी और गोविन्ददेवजी शामिल हैं।
टोंक: एक नजर में
क्षेत्रफल: 7194 वर्ग किलोमीटर
भाषा: राजस्थानी, हिन्दी और अंग्रेजी
घूमने का समय: सितम्बर से मार्च
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