बांसवाड़ा का सफर
बांसवाड़ा- सौ द्वीपों का शहर
राजस्थान राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित एक शहर है बांसवाड़ा। यह बांसवाड़ा जिले का जिला मुख्यालय है जो कि 5,307 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। बांसवाड़ा, 302 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है जो पुराने समय में एक राजसी राज्य था, जिसकी नींव महारावल ‘जगमाल सिंह’ ने राखी थी। इस जगह ने अपना नाम यहाँ के बांस के जंगलों से प्राप्त किया है। यह शहर “सौ द्वीपों के शहर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ से हो कर बहने वाली ‘माही’ नदी में द्वीप बड़ी संख्या में हैं।
जिला बाँसवाड़ा, जो कि पहले एक राजसी राज्य था और इस पर महारावलों का शासन था। इन्होंने इस क्षेत्र के पूर्वी भाग को आकार दिया, जिसे वागड़ या वग्वार के नाम से जाना गया। लोककथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र पर भील शासक ‘बंसिया’ का शासन था, जिसने इसे बाँसवाड़ा का नाम दिया। बाद में वह जगमाल सिंह के द्वारा हरा दिया गया और मार दिया गया और तब जगमाल सिंह राज्य के पहले महारावल बने।
एक मिनी जलियाँवाला बाग
सन 1913 में, समाज सुधारक गोविन्दगिरी एवं पंजा के नेतृत्व में कुछ भीलों ने सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। हालांकि, उनके विद्रोह को दबा दिया गया था, पर मानगढ़ पहाड़ी पर एक शांतिपूर्ण बैठक कर रहे सैकड़ों भीलों की गोली मार कर ह्त्या कर दी गई थी। यह घटना मिनी जलियांवाला बाग नरसंहार के रूप में जानी जाती है। मानगढ़ पहाड़ी पर जिस जगह यह घटना घटी, वह स्थान एक पवित्र बन गया और अब मानगढ़ धाम के नाम से जाना जाता है।
मूल निवासी और भाषाएँ
भारत की आजादी के बाद 1949 में, बांसवाड़ा राज्य और कुशलगढ़ सरदारी का राजस्थान राज्य में विलय कर दिया गया और बांसवाड़ा को एक अलग जिले के रूप में बाहर नामांकित कर दिया गया। भील, भील मीणा, दामोर,चार्पोता और निनामा के अलावा अन्य प्रमुख जातियाँ जैसे पटेल, राजपूत, ब्राह्मण और महाजन इस क्षेत्र में रहती हैं। वागड़ी जो कि गुजराती और मेवाड़ी भाषा का एक मिश्रण है यहां बोली जाने वाली लोकप्रिय भाषा है।
बांसवाड़ा के प्रमुख आकर्षण
त्रिपुरा सुंदरी, माही बांध, कागड़ी पिक अप मेड़ और मदरेश्वर शिव मंदिर इस क्षेत्र के कुछ लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं। वर्तमान में कुछ अन्य पर्यटन आकर्षण जैसे अब्दुल्ला पीर, आनंद सागर झील, भीम कुंड, अन्देश्वर (जैन मंदिर) और छींछ ब्रह्मा मंदिर बांसवाड़ा जिले में शामिल हैं।
बांसवाड़ा पहुँचना
उदयपुर हवाई अड्डा जो इस जिले से 157 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, बांसवाड़ा के लिए निकटतम हवाई अड्डा है। यहाँ से जोधपुर, जयपुर, मुंबई और दिल्ली के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। रतलाम, डूंगरपुर, दोहाद और जयपुर से बांसवाड़ा तक पहुँचने के लिए बस सेवा उपलब्ध है। बांसवाड़ा आने के लिए सबसे अच्छा समय अगस्त से मार्च माना जाता है।
माही बांध, बाँसवाड़ा Mahi Dam, Banswara
बांसवाड़ा में माही बांध, माही बजाज सागर परियोजना के एक भाग के रूप में निर्मित किया गया था। चूँकि माही बांध के जलग्रहण क्षेत्र के अंदर द्वीपों की एक बड़ी संख्या हैं, इसलिए बांसवाड़ा "सौ द्वीपों का शहर" के नाम से भी लोकप्रिय है। यह बांध बांसवाड़ा जिले से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग से इस तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
त्रिपुरा सुंदरी, बाँसवाड़ा Tripura Sundari, Banswara
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा जिले के मुख्यालय से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर त्रिपुरा सुंदरी देवी के लिए समर्पित है, जिन्हें माता तुर्तिया के नाम से भी जाना जाता है। काले पत्थर पर खुदी हुई देवी की एक मूर्ति, मंदिर में प्रतिष्ठित है। लोककथाओं के अनुसार मंदिर कुषाण तानाशाह के शासन से भी पहले बनाया गया था। यह मंदिर एक 'शक्ति पीठ' के रूप में प्रसिद्ध है और जो हिंदू, देवी ‘शक्ति’ या देवी ‘पार्वती’ की पूजा करते हैं, उनके लिए यह एक पवित्र स्थान है।
आनंद सागर झील, बाँसवाड़ा Anand Sagar Lake, Banswara
आनंद सागर झील बांसवाड़ा के पूर्वी हिस्से में स्थित एक सुंदर कृत्रिम झील है। यह कहा जाता है कि यह झील इदर की लच्छी बाई जो कि महारावल जगमाल की पत्नी थी, ने बनवाई थी। राज्य के भूतपूर्व शासकों की छतरियां या स्मारक झील के पास स्थित हैं। पवित्र पेड़ जिसे 'कल्प वृक्ष' के नाम से जाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि यह आगंतुकों की इच्छाओं को पूरा करता है यह भी इसी झील के पास में स्थित हैं। झील जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बसों और टैक्सियों द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है।
अर्थुना, बाँसवाड़ा Arthuna, Banswara
अर्थुनाः बांसवाड़ा जिले के सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है जो एक बड़ी और प्रसिद्ध पुरातात्विक महत्व की साइट है। यहाँ उत्कृष्ठ बनावट के जटिल, 11 वीं और 12 वीं शताब्दी में निर्मित बहुत से मंदिर हैं। यहां कई धार्मिक स्थलों की खुदाई की गई है, जो भारत की समृद्धशाली विरासत के गौरवशाली अतीत को प्रकट करती है। यद्यपि यहाँ पर मंदिरों की एक बड़ी संख्या है, पर अर्थुना को अक्सर पुराने और टूटे-फूटे मंदिरों के गाँव के रूप में उल्लेखित किया जाता है। यह क्षेत्र प्राचीन समय में परमार शासकों की राजधानी रहा है।
अन्देश्वर, बाँसवाड़ा Andeshwar, Banswara
अन्देश्वर एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है जिसमें 10 वीं सदी के दुर्लभ शिलालेख शामिल हैं। इस मंदिर में भी दो मंदिर दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर है। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा 30 इंच ऊंची और काले रंग की है। मुख्य मंदिर, कुशालगढ़ की दिगंबर जैन पंचायत द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
भीम कुंड, बाँसवाड़ा Bhim kund, Banswara
भीम कुंड एक खूबसूरत जगह है जो जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। लोककथाओं के अनुसार अपने वनवास के दौरान पांडव(महाभारत के) इसी स्थान पर रहते थे। यहाँ एक सुरंग है,ऐसा माना जाता है कि या दूर किसी घोटिया अंबा नामक जगह पर समाप्त होती है और पांडवों ने इसका इस्तेमाल बारिश से बचने के लिए किया था।
छींछ ब्रह्मा मंदिर, बाँसवाड़ा Cheench Brahma Temple, Banswara
छींछ ब्रह्मा मंदिर 12 वीं सदी का एक मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यहाँ रखी हुई ब्रह्मा की मूर्ति काले पत्थर पर खुदी हुई है और उसकी ऊंचाई एक औसत आदमी की ऊँचाई के बराबर है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 18 किमी की दूरी पर स्थित है और आसानी से बस, टैक्सी और टेम्पो के द्वारा यहाँ तक पहुँचा जा सकता है।
दिआब्लाब झील, बाँसवाड़ा Diablab Lake, Banswara
दिआब्लाब झील जिला मुख्यालय से 1 किमी की दूरी पर स्थित है और एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है,इसकी नैसर्गिक सुंदरता के लिए धन्यवाद। यह झील आंशिक रूप से सुंदर कमल के फूलों से ढकी हुई है जो झील के आकर्षण को और बढ़ाते हैं। पूर्व शासकों का ग्रीष्मकालीन निवास, बादल महल कहलाता है, जो झील के किनारों पर बना है। लोग गर्मी के मौसम में झील पर नौका विहार का आनंद ले सकते हैं।
कागड़ी पिक अप मेड़, बाँसवाड़ा Kagdi Pick Up Weir, Banswara
कागड़ी पिक अप मेड़, जो कि बाँसवाड़ा के जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर रतलाम रोड पर स्थित है, एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। सुंदर उद्यान, फव्वारे और पानी का एक बड़े क्षेत्र में फैलाव, ये सब मिलकर इसे पर्यटकों के लिए एक ‘हॉटस्पॉट’ बनाते है।
मदरेश्वर शिव मंदिर, बाँसवाड़ा Madareshwar Shiva Temple, Banswara
मदरेश्वर शिव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। यह प्रसिद्ध मंदिर, शहर के पूर्वी भाग में पहाड़ी की चोटी पर, एक प्राकृतिक गुफा के अन्दर स्थित है। चूंकि यह शिव मंदिर एक गुफा के अंदर है, इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इसकी तुलना अमरनाथ के महान तीर्थ के साथ करते हैं। महा शिवरात्रि एक महत्वपूर्ण अवसर है जब यहाँ रुद्र अभिषेक पूजा की जाती है। यह मंदिर कवाड़ी यात्रा का शुरुआती स्थल है जो कि बनेश्वर मंदिर में समाप्त होती है। यह यात्रा पैरों पर पैदल की जाती है और इसमें माही नदी का पानी लाने और पूजा (पूजा) का आयोजन भी शामिल है। मंदिर जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और टैक्सियों और दो पहिया वाहनों के द्वारा इस तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
पाराहीड़ा, बाँसवाड़ा Paraheada, Banswara
पाराहीड़ा एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो हमें 12 वीं सदी में वापस ले जाता है। यह मंदिर, बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर स्थित है, और राजा मांडलिक के द्वारा बनवाया गया था। यहाँ बड़ी संख्या में शिलालेख मौजूद हैं जो परमार राजाओं के अस्तित्व के सबूत हैं।
राम कुंड, बाँसवाड़ा Ram Kund, Banswara
राम कुंड को 'फटी खान' भी कहा जाता है क्योंकि यह एक पहाड़ी के नीचे एक गहरी गुफा के रूप में है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के लिए एक उपचार है। ठंडे पानी का एक पूल पास ही में स्थित है यह एक अनोखा पूल है क्योंकि यह कभी सूखता नहीं है। लोगों का मानना है कि भगवान राम ने अपने बनवास के दौरान, इस जगह पर कुछ समय बिताया था, इसलिए इसका नाम राम कुंड पड़ा।
श्री साई बाबा मंदिर, बाँसवाड़ा Shri Sai Baba Mandir, Banswara
श्री साई बाबा मंदिर, पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया, साई बाबा के लिए समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह जिला मुख्यालय से 1 किमी की दूरी पर स्थित है, और इस तक आसानी से टैक्सी या टेम्पो द्वारा पहुंचा जा सकता है।
श्री राज मंदिर, बाँसवाड़ा Shri Raj Mandir, Banswara
श्री राज मंदिर, सिटी पैलेस के नाम से लोकप्रिय है, यह 16 वीं सदी का एक आकर्षक महल है। यह एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है जो पुरानी राजपूत वास्तुकला का प्रतीक है। यह स्मारक राजस्थान के शाही परिवार के स्वामित्व में है और पर्यटक केवल निमंत्रण पर ही इसकी यात्रा कर सकते हैं।
तलवाड़ा, बाँसवाड़ा Talwara, Banswara
लवाड़ा, बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 17 किमी की दूरी पर स्थित एक शहर है जो कि सूर्य भगवान और प्रभु अमलिया गणेश के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। अन्य लोकप्रिय मंदिर जैसे लक्ष्मी नारायण का मंदिर, द्वारिकाधीश का मंदिर और सम्भरनाथ का जैन मंदिर आदि भी यहाँ उपस्थित हैं। जब पर्यटक तलवाड़ा की सड़कों पर चलते हैं, उन्हें कई सोमपुरा कलाकार पत्थरों पर सुन्दर डिज़ाइन बनाते हुए मिल सकते हैं।
राजस्थान राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित एक शहर है बांसवाड़ा। यह बांसवाड़ा जिले का जिला मुख्यालय है जो कि 5,307 वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है। बांसवाड़ा, 302 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित है जो पुराने समय में एक राजसी राज्य था, जिसकी नींव महारावल ‘जगमाल सिंह’ ने राखी थी। इस जगह ने अपना नाम यहाँ के बांस के जंगलों से प्राप्त किया है। यह शहर “सौ द्वीपों के शहर” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहाँ से हो कर बहने वाली ‘माही’ नदी में द्वीप बड़ी संख्या में हैं।
जिला बाँसवाड़ा, जो कि पहले एक राजसी राज्य था और इस पर महारावलों का शासन था। इन्होंने इस क्षेत्र के पूर्वी भाग को आकार दिया, जिसे वागड़ या वग्वार के नाम से जाना गया। लोककथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र पर भील शासक ‘बंसिया’ का शासन था, जिसने इसे बाँसवाड़ा का नाम दिया। बाद में वह जगमाल सिंह के द्वारा हरा दिया गया और मार दिया गया और तब जगमाल सिंह राज्य के पहले महारावल बने।
एक मिनी जलियाँवाला बाग
सन 1913 में, समाज सुधारक गोविन्दगिरी एवं पंजा के नेतृत्व में कुछ भीलों ने सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया। हालांकि, उनके विद्रोह को दबा दिया गया था, पर मानगढ़ पहाड़ी पर एक शांतिपूर्ण बैठक कर रहे सैकड़ों भीलों की गोली मार कर ह्त्या कर दी गई थी। यह घटना मिनी जलियांवाला बाग नरसंहार के रूप में जानी जाती है। मानगढ़ पहाड़ी पर जिस जगह यह घटना घटी, वह स्थान एक पवित्र बन गया और अब मानगढ़ धाम के नाम से जाना जाता है।
मूल निवासी और भाषाएँ
भारत की आजादी के बाद 1949 में, बांसवाड़ा राज्य और कुशलगढ़ सरदारी का राजस्थान राज्य में विलय कर दिया गया और बांसवाड़ा को एक अलग जिले के रूप में बाहर नामांकित कर दिया गया। भील, भील मीणा, दामोर,चार्पोता और निनामा के अलावा अन्य प्रमुख जातियाँ जैसे पटेल, राजपूत, ब्राह्मण और महाजन इस क्षेत्र में रहती हैं। वागड़ी जो कि गुजराती और मेवाड़ी भाषा का एक मिश्रण है यहां बोली जाने वाली लोकप्रिय भाषा है।
बांसवाड़ा के प्रमुख आकर्षण
त्रिपुरा सुंदरी, माही बांध, कागड़ी पिक अप मेड़ और मदरेश्वर शिव मंदिर इस क्षेत्र के कुछ लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं। वर्तमान में कुछ अन्य पर्यटन आकर्षण जैसे अब्दुल्ला पीर, आनंद सागर झील, भीम कुंड, अन्देश्वर (जैन मंदिर) और छींछ ब्रह्मा मंदिर बांसवाड़ा जिले में शामिल हैं।
बांसवाड़ा पहुँचना
उदयपुर हवाई अड्डा जो इस जिले से 157 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, बांसवाड़ा के लिए निकटतम हवाई अड्डा है। यहाँ से जोधपुर, जयपुर, मुंबई और दिल्ली के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं। रतलाम, डूंगरपुर, दोहाद और जयपुर से बांसवाड़ा तक पहुँचने के लिए बस सेवा उपलब्ध है। बांसवाड़ा आने के लिए सबसे अच्छा समय अगस्त से मार्च माना जाता है।
माही बांध, बाँसवाड़ा Mahi Dam, Banswara
बांसवाड़ा में माही बांध, माही बजाज सागर परियोजना के एक भाग के रूप में निर्मित किया गया था। चूँकि माही बांध के जलग्रहण क्षेत्र के अंदर द्वीपों की एक बड़ी संख्या हैं, इसलिए बांसवाड़ा "सौ द्वीपों का शहर" के नाम से भी लोकप्रिय है। यह बांध बांसवाड़ा जिले से 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और सड़क मार्ग से इस तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
त्रिपुरा सुंदरी, बाँसवाड़ा Tripura Sundari, Banswara
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर बांसवाड़ा जिले के मुख्यालय से 19 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर त्रिपुरा सुंदरी देवी के लिए समर्पित है, जिन्हें माता तुर्तिया के नाम से भी जाना जाता है। काले पत्थर पर खुदी हुई देवी की एक मूर्ति, मंदिर में प्रतिष्ठित है। लोककथाओं के अनुसार मंदिर कुषाण तानाशाह के शासन से भी पहले बनाया गया था। यह मंदिर एक 'शक्ति पीठ' के रूप में प्रसिद्ध है और जो हिंदू, देवी ‘शक्ति’ या देवी ‘पार्वती’ की पूजा करते हैं, उनके लिए यह एक पवित्र स्थान है।
आनंद सागर झील, बाँसवाड़ा Anand Sagar Lake, Banswara
आनंद सागर झील बांसवाड़ा के पूर्वी हिस्से में स्थित एक सुंदर कृत्रिम झील है। यह कहा जाता है कि यह झील इदर की लच्छी बाई जो कि महारावल जगमाल की पत्नी थी, ने बनवाई थी। राज्य के भूतपूर्व शासकों की छतरियां या स्मारक झील के पास स्थित हैं। पवित्र पेड़ जिसे 'कल्प वृक्ष' के नाम से जाना जाता है और ऐसा माना जाता है कि यह आगंतुकों की इच्छाओं को पूरा करता है यह भी इसी झील के पास में स्थित हैं। झील जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और बसों और टैक्सियों द्वारा यहाँ पहुंचा जा सकता है।
अर्थुना, बाँसवाड़ा Arthuna, Banswara
अर्थुनाः बांसवाड़ा जिले के सबसे अधिक देखे जाने वाले स्थानों में से एक है जो एक बड़ी और प्रसिद्ध पुरातात्विक महत्व की साइट है। यहाँ उत्कृष्ठ बनावट के जटिल, 11 वीं और 12 वीं शताब्दी में निर्मित बहुत से मंदिर हैं। यहां कई धार्मिक स्थलों की खुदाई की गई है, जो भारत की समृद्धशाली विरासत के गौरवशाली अतीत को प्रकट करती है। यद्यपि यहाँ पर मंदिरों की एक बड़ी संख्या है, पर अर्थुना को अक्सर पुराने और टूटे-फूटे मंदिरों के गाँव के रूप में उल्लेखित किया जाता है। यह क्षेत्र प्राचीन समय में परमार शासकों की राजधानी रहा है।
अन्देश्वर, बाँसवाड़ा Andeshwar, Banswara
अन्देश्वर एक प्रसिद्ध जैन मंदिर है जिसमें 10 वीं सदी के दुर्लभ शिलालेख शामिल हैं। इस मंदिर में भी दो मंदिर दिगंबर जैन पार्श्वनाथ मंदिर है। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा 30 इंच ऊंची और काले रंग की है। मुख्य मंदिर, कुशालगढ़ की दिगंबर जैन पंचायत द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
भीम कुंड, बाँसवाड़ा Bhim kund, Banswara
भीम कुंड एक खूबसूरत जगह है जो जिला मुख्यालय से 30 किमी की दूरी पर स्थित है। लोककथाओं के अनुसार अपने वनवास के दौरान पांडव(महाभारत के) इसी स्थान पर रहते थे। यहाँ एक सुरंग है,ऐसा माना जाता है कि या दूर किसी घोटिया अंबा नामक जगह पर समाप्त होती है और पांडवों ने इसका इस्तेमाल बारिश से बचने के लिए किया था।
छींछ ब्रह्मा मंदिर, बाँसवाड़ा Cheench Brahma Temple, Banswara
छींछ ब्रह्मा मंदिर 12 वीं सदी का एक मंदिर है जो भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यहाँ रखी हुई ब्रह्मा की मूर्ति काले पत्थर पर खुदी हुई है और उसकी ऊंचाई एक औसत आदमी की ऊँचाई के बराबर है। यह मंदिर जिला मुख्यालय से 18 किमी की दूरी पर स्थित है और आसानी से बस, टैक्सी और टेम्पो के द्वारा यहाँ तक पहुँचा जा सकता है।
दिआब्लाब झील, बाँसवाड़ा Diablab Lake, Banswara
दिआब्लाब झील जिला मुख्यालय से 1 किमी की दूरी पर स्थित है और एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है,इसकी नैसर्गिक सुंदरता के लिए धन्यवाद। यह झील आंशिक रूप से सुंदर कमल के फूलों से ढकी हुई है जो झील के आकर्षण को और बढ़ाते हैं। पूर्व शासकों का ग्रीष्मकालीन निवास, बादल महल कहलाता है, जो झील के किनारों पर बना है। लोग गर्मी के मौसम में झील पर नौका विहार का आनंद ले सकते हैं।
कागड़ी पिक अप मेड़, बाँसवाड़ा Kagdi Pick Up Weir, Banswara
कागड़ी पिक अप मेड़, जो कि बाँसवाड़ा के जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर की दूरी पर रतलाम रोड पर स्थित है, एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। सुंदर उद्यान, फव्वारे और पानी का एक बड़े क्षेत्र में फैलाव, ये सब मिलकर इसे पर्यटकों के लिए एक ‘हॉटस्पॉट’ बनाते है।
मदरेश्वर शिव मंदिर, बाँसवाड़ा Madareshwar Shiva Temple, Banswara
मदरेश्वर शिव मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। यह प्रसिद्ध मंदिर, शहर के पूर्वी भाग में पहाड़ी की चोटी पर, एक प्राकृतिक गुफा के अन्दर स्थित है। चूंकि यह शिव मंदिर एक गुफा के अंदर है, इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु इसकी तुलना अमरनाथ के महान तीर्थ के साथ करते हैं। महा शिवरात्रि एक महत्वपूर्ण अवसर है जब यहाँ रुद्र अभिषेक पूजा की जाती है। यह मंदिर कवाड़ी यात्रा का शुरुआती स्थल है जो कि बनेश्वर मंदिर में समाप्त होती है। यह यात्रा पैरों पर पैदल की जाती है और इसमें माही नदी का पानी लाने और पूजा (पूजा) का आयोजन भी शामिल है। मंदिर जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और टैक्सियों और दो पहिया वाहनों के द्वारा इस तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।
पाराहीड़ा, बाँसवाड़ा Paraheada, Banswara
पाराहीड़ा एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है जो हमें 12 वीं सदी में वापस ले जाता है। यह मंदिर, बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 25 किमी की दूरी पर स्थित है, और राजा मांडलिक के द्वारा बनवाया गया था। यहाँ बड़ी संख्या में शिलालेख मौजूद हैं जो परमार राजाओं के अस्तित्व के सबूत हैं।
राम कुंड, बाँसवाड़ा Ram Kund, Banswara
राम कुंड को 'फटी खान' भी कहा जाता है क्योंकि यह एक पहाड़ी के नीचे एक गहरी गुफा के रूप में है। चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है, यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के लिए एक उपचार है। ठंडे पानी का एक पूल पास ही में स्थित है यह एक अनोखा पूल है क्योंकि यह कभी सूखता नहीं है। लोगों का मानना है कि भगवान राम ने अपने बनवास के दौरान, इस जगह पर कुछ समय बिताया था, इसलिए इसका नाम राम कुंड पड़ा।
श्री साई बाबा मंदिर, बाँसवाड़ा Shri Sai Baba Mandir, Banswara
श्री साई बाबा मंदिर, पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया, साई बाबा के लिए समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह जिला मुख्यालय से 1 किमी की दूरी पर स्थित है, और इस तक आसानी से टैक्सी या टेम्पो द्वारा पहुंचा जा सकता है।
श्री राज मंदिर, बाँसवाड़ा Shri Raj Mandir, Banswara
श्री राज मंदिर, सिटी पैलेस के नाम से लोकप्रिय है, यह 16 वीं सदी का एक आकर्षक महल है। यह एक बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है जो पुरानी राजपूत वास्तुकला का प्रतीक है। यह स्मारक राजस्थान के शाही परिवार के स्वामित्व में है और पर्यटक केवल निमंत्रण पर ही इसकी यात्रा कर सकते हैं।
तलवाड़ा, बाँसवाड़ा Talwara, Banswara
लवाड़ा, बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 17 किमी की दूरी पर स्थित एक शहर है जो कि सूर्य भगवान और प्रभु अमलिया गणेश के प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। अन्य लोकप्रिय मंदिर जैसे लक्ष्मी नारायण का मंदिर, द्वारिकाधीश का मंदिर और सम्भरनाथ का जैन मंदिर आदि भी यहाँ उपस्थित हैं। जब पर्यटक तलवाड़ा की सड़कों पर चलते हैं, उन्हें कई सोमपुरा कलाकार पत्थरों पर सुन्दर डिज़ाइन बनाते हुए मिल सकते हैं।
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