झुंझनू का सफर

झुंझनू का सफर

अपनी खूबसूरती और रंगों के लिए प्रसिद्ध


झुंझनू शहर का नाम आते ही दिमाग में एक ऐसे शहर का अक्‍स उभरता है जो अपनी खूबसूरती और रंगों के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह विशेष रूप से दीवारों पर की गई खूबसरत चित्रकारी के लिए जाना जाता है। झुनझुनु में ऐसी कई जगह जैसे किले, मंदिर, स्मारक एवं महल है जहां घूमा जा सकता है।

वर्तमान में झुनझुनु शेखवटी क्षेत्र का हिस्सा है। 1752 में सरदुल सिंह की मृत्यु के पश्चात् उनके शासन को पांच बराबर हिस्सों में उनके बेटों में बांट दिया गया था। सरदुल के हर बेटे ने स्वयं के लिए महल का निर्माण करवाया। 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश शासन के समय झुनझुनु एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। ब्रिटिश कमांडर मेजर फॉस्टर इस जगह पर कई वर्षों तक रहे। इन्होंने कई वर्षो तक यहां शासन किया। इसके साथ ही उन्होंने एक नए शहर का निर्माण भी करवाया जिसे फॉस्टरगंज कहा जाता है। इस दौरान मेजर भी काफी प्रसिद्ध रहे क्योंकि उन्होंने लोगों के लिए मस्जिद एवं मंदिर दोनों का ही निर्माण करवाया था।

कहां जाएं
बादलगढ़ किला- इस किले की शुरूआत केमखानी नवाब के सहयोग से हुई। बादलगढ़ किला ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है। इसके साथ ही यह किला चट्टानी पर्वत के सबसे ऊपरी हिस्से में स्थित है। इस किले का निर्माण नवाब फजल खाने ने करवाया। इस किले के निर्माण का कार्य 17वीं शताब्दी में पूरा हुआ।

बादलगढ़ किले की दिवारों पर किया गया काम काफी खूबसूरत है। इसके अलावा झुनझुनु में केमखानी नवाब के तीन अन्य मकबरें और भी है। शहर के पूर्व में नवाब समास खान (1605-1627) का मकबरा है, वहीं पश्चिम में भवन खान का मकबरा है जिसका निर्माण रोहेला खान ने करवाया था।

शेखावटी राजपूत छत्री- शेखावट राजपूत ने झुनझुनु के कुछ हिस्से का निर्माण करवाया था। शेखावटी राजपूत छत्री की याद में सरदुल सिंह के बेटे ने इस स्थान पर स्कूल की शुरूआत की। उन्होंने इस जगह पर सफेदी करवाई। इसके अलावा दीवारों पर की गई कुछ ऐतिहासिक चित्रकारी को हटवा दिया। इस किले की अन्दर की कुछ दीवारों पर भी चित्रकारी की गई है।

जोहरावरगढ़- सरदुल सिंह के सबसे बड़े बेटे जोहरावर सिंह ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस किले का निर्माण उन्होंने स्वयं के लिए 1741 में करवाया था।

खत्री महल- खत्री महल अपनी वास्तुकला के लिए झुनझुनु में काफी प्रसिद्ध है। इस महल को वाइंड पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इस महल का निर्माण भोपाल सिंह ने करवाया था। भोपाल सिंह खत्री के संस्थापक एवं सरदुल सिंह के दादा थे। इस महल का निर्माण 1770 में करवाया गया। इस महल के भीतर एक खूबसूरत हॉल है।

फॉस्टरगंज- शेखावटी राजपूत के बाद काफी समय तक यहां ब्रिटिश शासकों ने राज किया। ब्रिटिश शासकों के साथ मेजर हेनरी फॉस्टर भी झुनझुनु आए। उन्होंने इस शहर में एक मस्ज्दि और मंदिर का निर्माण करवाया। इसलिए इस शहर को ही फॉस्टरगंज के नाम से जाना जाता है। फॉस्टर ने इस मस्जिद को सफेद एवं हरे रंग से रंगवाया। इसके अलावा फॉस्टर ने शहर में कई खूबसूरत जगहों जैसे स्ट्रोन टेबलेट आदि का निर्माण करवाया।

कमरूद्दीन शाह दरगाह- कमरूद्दीन शाह दरगाह कान्हा पहाड़ पर्वत पर स्थित है। इस दरगाह में कमरूद्दीन शाह का मकबरा है। यह एक मुस्लिम संत (जन्म-1784) थे। इस दरगाह का निर्माण 19 शताब्दी के मध्य में हुआ। इस मकबरे में एक महफिल खाने के साथ-साथ मदरसा भी है। इसके अलावा यहां पिरामिड के आकार में एक परिसर भी है। यह जगह मेजर फॉस्टर ने अपने बेटे की याद में 1841 में बनवाया था।

रानी सती मंदिर- इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर मर्चेंट की पत्नी ने बनवाया था। यह मंदिर टाइल और शीशे को मिलकर बनाया गया है। इस मंदिर में शिव की पत्नी रानी सती, दुर्गा और गणेश की प्रतिमा स्थापित है। यहां दीवार पर की गई चित्रकारी रानी सती के पति की की मृत्यु को दर्शाती है। जिनकी हत्या एक युद्ध में नवाब के सिपाही द्वारा की गई थी।

कैसे जाएं
हवाई अड्डा- सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर है। हवाई अड्डे से झुनझुनु की दूरी 184 किलोमीटर है।
रेल मार्ग- झुनझुनु के लिए नियमित रूप से दिल्ली, जयपुर एवं शेखावती क्षेत्र से एक्सप्रेस ट्रेन चलती है।
सड़क मार्ग- झुनझुनु कई प्रमुख मार्गों दिल्ली, जयपुर, जोधपुर, और बीकानेर आदि से जुड़ा हुआ है।

एक नजर में
भौगोलिक क्षेत्रफल: 5928 वर्ग किलोमी.
ऊंचाई: समुद्र तल से 338 मी.
एसटीडी कोड: 01592
घूमने का समय: अक्टूबर से मार्च

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