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Showing posts from April, 2015

श्रीगंगानगर के पर्यटन स्थल

श्रीगंगानगर के पर्यटन स्थल समृद्ध कला व संस्कृति के लिए विशेष रूप से जाना जाता है राजस्थान स्थित गंगानगर जिला अपनी समृद्ध कला व संस्कृति के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इसके साथ ही यह जगह एशिया के सबसे बड़े कृषि फार्म के लिए भी प्रसिद्ध है। बिन्जोर, शिवपुरी कागद, शिवपुर, सूरतगढ़ तापीय विद्युत परियोजना और अनूपगढ़ आदि यहां के दर्शनीय स्थलों में से है। इन सबके के अलावा, यहां श्रीजगदम्बा मूक-बधिर विद्यालय भी है जिसे देश में पहली कम्प्यूटराईज्ड ब्रेल प्रेस यूनिट होने का गौरव प्राप्त है। यह जिला बिकानेर जिला के दक्षिण, हनुमानगढ़ जिला के पूर्व, पंजाब राज्य के उत्तर और पाकिस्तान के पश्चिमी हिस्से से घिरा हुआ है।                   ऐतिहासिक दृष्टि से भी यह स्थान काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। थार रेगिस्तान के रेतील धोरों से आच्छादित राजस्थान प्रदेश के उत्तरी भू-भाग का  गंगानगर अपने आप में अनूठा इतिहास संजोये हुए हैं। जोधपुर के निर्माता राव जोधा के पुत्र बीका ने 1488 में बीकानेर की स्थापना की थी। ऐसा कहा जाता है कि बीकानेर के इतिहास में श्री...

हनुमानगढ़ का सफर

हनुमानगढ़ का सफर एक ऐतिहासिक शहर हनुमानगढ़ एक ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है। हनुमानगढ़ में कई प्रसिद्ध स्थान जैसे भटनेर किला, कालीबंगा संग्रहालय, शिला माता मंदिर, गोगामेड़ी आदि है। हनुमानगढ़ पहले श्रीगंगानगर का हिस्सा था लेकिन 12 जुलाई 1994 में इसे अलग कर दिया गया। हनुमानगढ़ जिले को पहले भटनेर नाम से जाना जाता था। 1805 में बीकानेर के सम्राट सूरत सिंह ने भाटी से लड़ाई जीत कर इस स्थान पर कब्जा कर लिया था। जिस दिन वह जीते उस दिन मंगलवार था। तभी से इसे भटनेर को हनुमानगढ़ के नाम से जाना जाता है। क्या देखें                                                     फोटो गैलरी देखें भटनेर किला- यह काफी पुराना किला है। भटनेर दुर्ग घाघहर नदी के किनारे स्थित है। इस किले का निर्माण 295 ई. में भूपत के पुत्र अभय राव भाटी ने करवाया था। यह किला भारतीय इतिहास की कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी भी रहा है। यहीं पर मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच प्रसिद्ध तारइन का ...

दौसा का सफर

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कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी जयपुर से 54 किमी. दूर दौसा राजस्थान का एक ऐतिहासिक नगर है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 11 पर स्थित है। दौसा का नाम पास ही की देवगिरी पहाड़ी के नाम पर पड़ा। दौसा कच्छवाह राजपूतों की पहली राजधानी थी। इसके बाद ही उन्होंने आमेर और बाद में जयपुर को अपना मुख्यालय बनाया। 1562 में जब अकबर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की जियारत को गए तब वे दौसा में रुके थे। दौसा में ऐतिहासिक महत्व के अनेक स्थान है जो यहां के प्राचीन साम्राज्य की याद दिलाते हैं। यहां पर मेहंदीपुर बालाजी और नीलकंठ आदि मंदिर भी हैं जहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। अभनेरी अभनेरी पुरा गुप्त काल या आरंभिक मध्यकालीन स्मारकों के लिए जाना जाता है। यह जिला मुख्यालय से करीब 33 किमी. दूर बंदीकुई की ओर स्थित है। चांद बावड़ी और हर्षत माता का मंदिर यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। मंदिर में पत्थरों पर की गई नक्काशी देखने योग्य है जबकि सीढ़ीनुमा बावड़ी की कलात्मकता और वास्तुशिल्प की कुशलता देखते ही बनती है। भांडारज भांडारज दीवारों, मूर्तियों, टैराकोटा कलाकारी आदि के लिए प्रसिद्ध है। यह ...

धौलपुर का सफर

धौलपुर का सफर विशेष रूप से बलुआ पत्थर के लिए जाना जाता धौलपुर राजस्‍थान का एक छोटा सा शहर है। धौलपुर विशेष रूप से बलुआ पत्थर के लिए जाना जाता है। यहां बनाई जाने वाली अधिकतर इमारतों का निर्माण इन बलुआ पत्थरों से ही किया जाता है। धौलपुर में कई मंदिर, किले, झील और महल है जहां घूमा जा सकता है।  फोटो गैलरी देखें                             धौलपुर एक पुराने ऐतिहासिक शहर के रूप में जाना जाता है। पहले इस जगह को धवलपुरी के नाम से जाना जाता था। धवल देओ शासन के बाद इस शहर का निर्माण किया गया। इस शहर का निर्माण होने के बाद इस जगह को धौलपुर के नाम से जाना जाने लग। 846 ईसवीं में यहां चौहान राजवंश्‍ा ने शासन किया था। कहां जाएं लसवारी- लसवारी एक ऐतिहासिक स्थल है। इसी स्थान पर लार्ड लेक ने दौलत राव सिंधिया की हत्या की थी। इसके अलावा यहां पुराना मुगल गार्डन, दमो जल प्रपात और कानपुर महल भी हैं। यह सभी जगह लसवारी की खूबसूरत जगहों में से है। शेरगढ़ किला- यह किला धौलपुर से पांच किलोमीटर की दूरी पर चम्बल नदी के किनार स्थित ह...

भिलवाड़ा का सफर

टैक्सटाइल सिटी ऑफ इंडिया भिलवाड़ा को टैक्सटाइल सिटी ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। यह राजस्थान के प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक है। यह राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। एक समय में यहां भीलों की बड़ी तादात पाई जाती थी। इसी कारण इस स्थान का नाम भिलवाड़ा पड़ा। भिलवाड़ा में कपड़ों के प्रमुख ब्रांड जैसे बीएसएल, मयूर सूटिंग और सुजूकी सूटिंग का उत्पादन होता है। राजस्थान का भिलवाड़ा जिला मेवाड़ क्षेत्र के साथ-साथ पूरे राजस्थान का प्रमुख औद्योगिक स्थान है। यहां पर बड़ी संख्या में टैक्सटाइल उद्योग लगे हुए हैं। साहस और बलिदान की भूमि भिलवाड़ा की सीमाएं पूर्व में बूंदी, पश्चिम में राजसमंद, उत्तर में अजमेर और दक्षिण में चित्तौड़गढ़ से मिलती हैं। भिलवाड़ा के इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसकी स्थापना करीब 300 से 400 साल पहले हुई थी। यहां के शासकों में निरंतर युद्ध हुए इसलिए इसे कई बार उजड़ना पड़ा। अंतत: अंग्रेजी शासन के दौरान 18वीं शताब्दी में इसकी स्थिति में धीरे-धीरे परिवर्तन हुआ। आज यह उद्योग की दृष्टि से ही नहीं पर्यटन की दृष्टि से भी लोगों को आकर्षित करता है। क्या ...

झुंझनू का सफर

झुंझनू का सफर अपनी खूबसूरती और रंगों के लिए प्रसिद्ध झुंझनू शहर का नाम आते ही दिमाग में एक ऐसे शहर का अक्‍स उभरता है जो अपनी खूबसूरती और रंगों के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह विशेष रूप से दीवारों पर की गई खूबसरत चित्रकारी के लिए जाना जाता है। झुनझुनु में ऐसी कई जगह जैसे किले, मंदिर, स्मारक एवं महल है जहां घूमा जा सकता है। वर्तमान में झुनझुनु शेखवटी क्षेत्र का हिस्सा है। 1752 में सरदुल सिंह की मृत्यु के पश्चात् उनके शासन को पांच बराबर हिस्सों में उनके बेटों में बांट दिया गया था। सरदुल के हर बेटे ने स्वयं के लिए महल का निर्माण करवाया। 19वीं शताब्दी में, ब्रिटिश शासन के समय झुनझुनु एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। ब्रिटिश कमांडर मेजर फॉस्टर इस जगह पर कई वर्षों तक रहे। इन्होंने कई वर्षो तक यहां शासन किया। इसके साथ ही उन्होंने एक नए शहर का निर्माण भी करवाया जिसे फॉस्टरगंज कहा जाता है। इस दौरान मेजर भी काफी प्रसिद्ध रहे क्योंकि उन्होंने लोगों के लिए मस्जिद एवं मंदिर दोनों का ही निर्माण करवाया था। कहां जाएं बादलगढ़ किला- इस किले की शुरूआत केमखानी नवाब के सहयोग से हुई। बादलगढ़ किला ऊंची-ऊंची दीव...

चुरू का सफर

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चुरू के पर्यटन आकर्षण चुरू एक चुरू जिले में राजस्थान के राज्य के रेगिस्तानी क्षेत्रों में स्थित है जो एक शहर है। शहर थार रेगिस्तान में स्थित है और एक शहर के पास रेत स्थानांतरण देख सकते हैं। चुरू के शहर अपने कई इमारतों, एक भव्य पैमाने में बनाया गया और एक अति सुंदर वास्तुकला है कि कर रहे हैं विशेष रूप से हवेलियों के लिए प्रसिद्ध है। कई ऐसे भवनों शहर के चारों ओर एक में पाया जा सकता है और इन दौरा करने के लिए आकर्षक स्थान हैं। इन हवेलियों रंगीन भित्ति चित्रों और भित्ति चित्र के साथ सजाया जाता है। हवेलियों शहर के हस्ताक्षर हैं। सबसे प्रसिद्ध इमारतों में से कुछ सुराणा हवेली, कन्हैया  लाल बागला की हवेली और कुछ अन्य लोगों के हैं। इन इमारतों को सैकड़ों की संख्या में संख्या है कि छोटे खिड़कियों की विशेषता है। चुरू 19वीं शताब्दी के प्रसिद्ध व्यापारियों की कहानी को भी बयां करती है चुरू राजस्थान राज्य में स्थित है। यह स्थान ऐतिहासिक दृष्‍िट से काफी महत्वपूर्ण है। यह जगह प्रमुख रूप से हवेली, मंदिर और किलों के लिए जाना जाता है। इन पर की गई चित्रकारी काफी खूबसूरत है। इस जगह की स्थापना एक...

शेखावटी का सफर

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शेखावाटी - प्राचीन हवेलियों और उत्सवों का शहर राजस्थान के उत्तर पूर्वी रेगिस्थान में स्थित शेखावाटी, भारतीयों के लिए बहुमूल्य एतिहासिक स्थल है। महाकाव्य महाभारत में इस स्थान से संबंधित कई संदर्भ मौजूद है, कहा जाता है कि हिन्दुओं के पवित्र वेद ग्रन्थ यहाँ लिखे गए थे। शेखावाटी का नाम शेखावाटी राजपूतों के नाम पर रखा गया जो इस प्रदेश के प्रमुख शासनकार थे। शेखावाटी के पर्यटक स्थल अपनी चित्रित हवेलियों, महलों और अन्य कई एतिहासिक धरोंहरों के लिए प्रसिद्ध शेखावाटी को "ऑपन आर्ट गैलरी ऑफ़ राजस्थान" के नाम से भी जाना जाता है। नदीने प्रिंस हवेली, मोरारका हवेली म्यूजियम, डॉ.रामनाथ.ए.पोद्दार हवेली म्यूजियम, जगन्नाथ सिंघानिया हवेली और खेत्री महल यहाँ के प्रमुख आकर्षक स्थल है। 1802 में बनाई नदीने प्रिंस हवेली के नये मालिक एक फ्रांसिसी कलाकार ने इसे आर्ट गैलरी और सांस्कृतिक केंद्र में परिवर्तित कर दिया है। डॉ.रामनाथ.ए.पोद्दार हवेली म्यूजियम में राजस्थानी संस्कृती को दर्शाते कई चित्र मौजूद है। मोरारका हवेली म्यूजियम लग भग 250 साल पुराना किला है, जब की खेत्री महल 1770 में बनी बहुमूल्य ए...

सीकर का सफर

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सीकर - जहाँ दिखता है पिछला इतिहास सीकर, भारतीय राज्य, राजस्थान के उत्तरपूर्वी भाग में स्थित एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र है। गुलाबी शहर, जयपुर के बाद यह दूसरा सबसे अधिक विकसित शहर है तथा सीकरजि़ले का प्रशासनिक मुख्यालय है। इस शहर की सीमाएँ राज्य के झुंझनू, चुरू, नागौड़ तथा जयपुरजि़ले से जुड़ी हैं। ऐतिहासिक रूप से इस शहर को ’बीर भान का बास’ के नाम से जाना जाता था तथा राज्य की राजधानी, ठिकाना सीकर पर शेखावटी राजाओं का शासन था। पर्यटन का गढ़... राजस्थान का मुख्य पर्यटन गढ़, सीकर, विशेषकर लक्ष्मणगढ़ के लिए जाना जाता है। यह शहर 1862 में लक्ष्मण सिंह द्वारा बनाए गए लक्ष्मणगढ़ किले के लिए प्रसिद्ध है। किले में सुंदर भित्तिचित्र तथा शेखावटी शैली में बनी शिल्पकला दुनियाभर से पर्यटकों को आकर्षित करती है। यह शहर सावंत राम चोखाणी हवेली, बंसीधर राठी हवेली, सांगेनेरिया हवेली, मिरिजामल हवेली, चार चोक हवेली और केडि़या हवेली के लिए प्रसिद्ध है। छुट्टियों में सीकर आने वाले यात्री फतेहपुर शहर भी देख सकते हैं। यह षहर मुस्लिम कायमखानी, नवाब फतेह खान द्वारा बनवाया गया था। यह जगह शाही किलों, हव...